________________ 16 [ है० 7.4.72.] विंशः सर्गः। 621 'विंशे / अत्र "विंशतेस्तेर्डिति" [67 ] इति तेलुक् // दक्ष / दाक्षि // चूडा / चौडि / बाह्वादित्वादिज् // इवर्ण / सांकृत्य / गर्गादित्वाद्यञ् // दुली / दौलेय / "द्विस्वरादनद्याः" [ 6. 1. 71 ] इत्येयण् / अत्र “अवर्णेवर्णस्य" [68 ] इत्यवर्णेवर्णयो क् // कामण्डलेयैः / देवीविवक्षायां "ल्याप्यूङः'' [ 6. 1. 70 ] इत्येयण् / गवि तु "चतुष्पादयः" [6. 1. 43] इत्येयञ् / जाम्बेय / इत्यत्र "अकदू०" [69 ] इत्यादिनोवर्णस्य लुक् // अकद्रूपाण्डोरिति कि / कादया / शुभ्रादित्वादेयण [ 6. 1. 73] / पाण्डवेय // बाभ्रव्य / इत्यत्र “अस्वयंभुवो" [70 ] इत्यवू / अस्वयंभुव इति किम् / स्वायंभुवम् // ऋवर्ण / मातृक // उ[*वर्ण / शाबरजम्बुकम् // दोस् / दौष्कः // इस् / सार्पिष्कः // उस् / धानुष्क / त् / शाकृत्की / अत्र "ऋवर्ण०" [71 ] इत्यादिनेकस्येतो लुक् // शश्वदकस्मात्प्रतिषेधः किम् / शाश्वतिकी / “वर्षाकालेभ्यः" [ 6. 3. 80 ] इतीकण् / आकस्मिकम् / अध्यात्मादित्वादि. कण [ 6. 3. 78 ] शालिनी // अर्थ नृपो पुत्रमृतस्य गृह्णात्यर्थेपि नास्थेत्ययि गच्छ गच्छ / मा जल्प मा जल्प तवेति जल्पन्त्यगे स्वमुल्लम्बयितुं प्रवृत्ता // 77 // 1 ए °यितुं प्रवृत्ता। की. १ए विंश अं. 2 बी सी स्तेडिति'. 3 ए ति स्तेलु . सी तिर्ख'. 4 एचूड / चौ. 5 एर्णयोलुक्. 6 सी श्वर्ण. 7 ए सी वि च. 8 बी सी यः एएय'. ९एम् / शु. 10 ए वेयी / शु. 11 सी "वेयः / वा. 12 सी भ्रव / इ. 13 ए त्र ख. 14 बी अश्वयं . 15 ए सू / दोष्वः / इ. 16 एपिष्टः / उ. सी पिंष्क / उ॰. 17 ए नुष्व / त्. 18 सी 'कृत्तिकी / अं. 19 ए शास्वति . __ *बी पुस्तके 93 तमपघटीकास्थधनुश्चिह्नपर्यन्तं पत्राणि न सन्ति. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org