________________
शुद्धि-पत्रक
अशुद्ध वृभा मुखधावने-दन्तप्रक्षालने-तैलं
बृभा
मुखधावन-दन्तप्रक्षालन-तैल
पादटिप्पण १ ३६ छाया २२ टिप्पण संख्या पादटिप्पण १ १८
२४
२१ मूल टिप्पणांक टिप्पणांक पाद टिप्पण ३ ४ मूल छाया शीर्षक
उवृवृनि अनुदत्त कोमलुम्मिलियामि काय गौव्रती गथ २२.२३.२४ २५.२६.२७. क्षेत्रखडा नपुंसग्गस्स पारिणामिकनिष्पन्न. सातव ण आयुर्वेद अजीवोदयनिष्यन्न पर्याय मुक्त अविहिंसा वाला
उबृवृनि अनुदात्त कोमलुम्मिलयम्मि कार्य गोव्रती गंथ २३.२४.२५. २६.२७.२८. सु. १५० में २९ क्षेत्रखंडा नपुंसगस्स पारिणामिकनिष्पन्न : सातवां प्रकरण : आयुर्वेद अजीवोदयनिष्पन्न पर्याय युक्त विहिंसा वाले
१७५
१७९ १७९
२९ ५ अनुवाद ३० अनुवाद २९ अनुवाद
"rm ० wwrrrrrrrm m mmmmmmmm
३११
पाद टिप्पण ३ (क) पृ. २: पाद टिप्पण १ (क) ३६ अनुवाद शरीक
तात्पर्य हैं ३४ छाया
सामान्यदृष्टम। ३० छाया
सख्येयकम् ५ अनुवाद
सताईस १६ अनुवाद श्लाका
जगन्य जण्णय
महाशला का २० अनुवाद
आगमत ३२ छाया
निशितम गंथ ग्रन्थ
पृ. ७२ : (ख) शरीर तात्पर्य है सामान्यदृष्टम् । संख्येयकम् सत्ताईस शलाका जघन्य जहण्णयं महाशलाका आगमतः निदशितम् गथ ग्रन्थ
३११
३५८ ३९२
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org