SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International सूत्र ५१४-५५३ जीव गुण प्रमाण संख्या प्रमाण दर्शन गुण प्रमाण चक्षुदर्शन गुण प्रमाण अदर्शन गुण प्रमाण अवधिदर्शन गुण प्रमाण केवलदर्शन गुण प्रमाण चरित्र गुण प्रमाण सामायिक छेदोपस्थापनीय परिहारविशुद्धि सूक्ष्म- सम्पराय यथाख्यात प्रस्थक दृष्टान्त जीवगुण प्रमाण सूत्र ५५४-५५७ नय गुण प्रमाण ज्ञान गुण प्रमाण नाम संख्या २. स्थापना संख्या २. द्रव्य संख्या ४. औपमम्य संख्या ५. परिमाण संख्या ६. ज्ञान संख्या ७. गणना संख्या ८. भाव संख्या नय गुण प्रमाण सूत्र ५५८-५७३ संख्या प्रमाण प्रत्यक्ष अनुमान उपमा झन्द्रय प्रत्यक्ष वसति दृष्टान्त नो इन्द्रिय प्रत्यक्ष १. श्रोत्रेन्द्रिय २. चक्षुरिन्द्रिय ३. धाणेन्द्रिय ४. रसनेन्द्रिय ५. स्पर्शनन्द्रिय पूर्ववत् शेषवत् दृष्टसाधर्म्यवत साधम्योंपनीत वैधम्योंपनीत For Private & Personal Use Only लौकिक लोकोत्तर प्रदेश दृष्टान्त सत् से सत् की उपमा सत् से असत् की उपमा असत् से सत् की उपमा असत् से असत् की उपमा कालिकश्रुत परिमाण संख्या दृष्टिवादश्रुत परिमाण संख्या अवधिज्ञान प्रत्यक्ष मनः पर्यवज्ञान केवलज्ञान पर्यव, अक्षर, संघात, पद, पाद, गाथा, श्लोक, वेढा, निर्युक्ति, अनुयोगद्वार, उद्देश, ' अध्ययन, श्रुतस्कन्ध, अंग संख्या कार्य से कारण से गुण से अवयव से आश्रय से अनेक प्रकार पर्यव.... अनुयोगद्वार प्राभृत, प्राभृतिका, प्राभृत-प्राभृतिका, वस्तु संख्या, www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy