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________________ प्र०६, सू० ४०८ टि०१५ २४७ ऊर्ध्व लोक की ऊंचाई ७ रज्जु है, चौड़ाई सर्वत्र ७ रज्जु है और लम्बाई नीचे १ रज्जु, बीच में ५ रज्जु, ऊपर १ रज्जु है। इस प्रकार ऊर्वलोक दो समान समलम्ब चतुर्भुजाधार सम पार्श्व का बना हुआ है। (देखें चित्र नं. ५,६) प्रत्येक समपार्श्व का घनफल-समलम्ब-चतुर्भुज का क्षेत्रफल Xऊंचाई है। ३.५ चित्र नं०५ चित्र नं०६ यहां पर समलम्ब-चतुर्भुज की दो समानान्तर भुजाएं १ रज्जु और ५ रज्जु है तथा ऊंचाई ३३ रज्जु है। (देखें चित्र नं. ७) अतः समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल={9 (५४१)x}=३ वर्ग रज्जु है । अत: ३४७=१४ घन रज्जु । - चित्र नं०७ इस प्रकार ऊर्ध्वलोक का घनफल १४७ घन रज्जु है। अधोलोक और ऊर्ध्व लोक के घनफलों को मिलाने पर समग्र लोक का घनफल निकलता है अतः समग्र लोक का घनफल-१९६+१४७=३४३ घन रज्जु है। श्वेताम्बर परम्परा श्वेताम्बर-परम्परा के आगम-साहित्य में यद्यपि लोक के आयाम, विष्कम्भ आदि के विषय में विस्तृत गाणितिक विवेचन उपलब्ध नहीं है, फिर भी उत्तरवर्ती ग्रन्थों में जो विवेचन किया गया है, उसके आधार पर यहां लोक का गाणितिक विवेचन किया जा रहा है। इन ग्रन्थों के अनुसार लोक की ऊंचाई १४ रज्जु है। १. लोकप्रकाश, सर्ग १२ में यह विवेचन उपलब्ध है। इसके सदश विवेचन का उल्लेख जर्मन विद्वान् फोन ग्लेसनहाप द्वारा लिखित 'देर जैनिजिमुस' पुस्तक में पाया गया। ग्लेसनहाप ने 'लोकस्त्री' (weltfrau) का एक चित्र चन्द्रसूरि के संग्रहणीसूत्र से उद्धृत किया है । इस चित्र में लोक का आयाम, विष्कम्भ और आयतन आदि का किया गया गाणितिक वर्णन 'लोकप्रकाश' के गाणितिक वर्णन से अधिकांश समान है। संग्रहणी का उल्लेख लोकप्रकाश में बहुत स्थलों पर किया गया है। अतः यह अनुमान है कि उससे ही उपाध्याय विनयविजयजी ने सारा विवेचन लिया हो। २. लोप्र. १२१८-१११ तथा देखें, देर निजिमुस पृ. २३२ । Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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