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नौवां प्रकरण
मूल पाठ
संस्कृत छाया उवक्कमाणुओगदारे पमाण-पदं उपक्रमानुयोगद्वारे प्रमाण-पदम् ३६६. से किं तं पमाणे? पमाणे । अथ किं तत् प्रमाणम् ? प्रमाणं
चउन्विहे पण्णते, तं जहा- चविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-१. द्रव्य१. दव्वप्पमाणे २. खेत्तप्पमाणे प्रमाण २. क्षेत्रप्रमाणं ३. कालप्रमाणं
३. कालप्पमाणे ४. भावप्पमाणे ॥ ४. भावप्रमाणम् । दव्वप्पमाण-पदं
द्रव्यप्रमाण-पदम् ३७०. से कि तं दव्वप्पमाणे? दव्वप्प- । अथ किं तद् द्रव्यप्रमाणम् ?
माणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- द्रव्यप्रमाणं द्विविधं प्रज्ञप्त, तद्यथा-- पएसनिप्फण्णे य विभागनिष्फण्णे प्रदेशनिष्पन्नं च विभागनिष्पन्नं च ॥ य ॥
हिन्दी अनुवाद उपक्रम अनुयोगद्वार प्रमाण-पद ३६९. वह प्रमाण क्या है ?
प्रमाण के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-- द्रव्य प्रमाण, क्षेत्र प्रमाण, काल प्रमाण और भावप्रमाण ।
द्रव्य प्रमाण-पद
३७०. वह द्रव्य प्रमाण क्या है ?
द्रव्य प्रमाण के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसेप्रदेशनिष्पन्न और विभागनिष्पन्न ।
३७१. से कि तं पएसनिप्फण्णे ? पएस अथ किं तत् प्रदेशनिष्पन्नम् ? ३७१. वह प्रदेशनिष्पन्न क्या है ? निप्फण्णे परमाणपोग्गले दुपए- प्रदेशनिष्पन्नम् -परमाणुपुद्गल:
प्रदेशनिष्पन्न--परमाणुपुद्गल, द्विप्रदेशिक सिए जाव दसपएसिए संखज्जपए- द्विप्रदेशिक: यावद् दशप्रदेशिकः
यावत् दसप्रदेशिक, संख्येयप्रदेशिक, असंख्येयसिए असंखेज्जपएसिए अणंतपए- संख्येयप्रदेशिकः असंख्येयप्रदेशिक:
प्रदेशिक और अनन्तप्रदेशिक । वह प्रदेशसिए । से तं पएसनिष्फण्णे ॥ अनन्तप्रदेशिकः। तदेतत् प्रदेश
निष्पन्न है। निष्पन्नम्। ३७२. से कि तं विभागनिप्फण्णे ? अथ कि तद् विभागनिष्पन्नम्। ३७२. वह विभागनिष्पन्न क्या है ? विभागनिष्फण्णे पंचविहे पण्णत्ते, विभागनिष्पन्नं पञ्चविधं प्रज्ञप्तं,
विभागनिष्पन्न के पांच प्रकार प्रज्ञप्त हैं, तं जहा-१. माणे २. उम्माणे तद्यथा-१. मानम् २. उन्मानम्
जैसे-१. मान, २. उन्मान, ३. अवमान, ४. ओमाणे ४. गणिमे ५. पडि- ३. अवमानं ४. गण्यं ५. प्रति
४. गण्य, ५. प्रतिमान । माणे॥
मानम् । ३७३. से कितं माणे? माणे दुविहे अथ किं तद् मानम् ? मानं ।
३७३. वह मान क्या हैं ? पण्णत्ते, तं जहा धन्नमाणप्पमाणे द्विविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-धान्यमान
मान के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-धान्यय रसमाणप्पमाण य॥ प्रमाणं च रसमानप्रमाणं च ।
मान प्रमाण और रसमान प्रमाण ।
३७४. से कि तं धन्नमाणप्पमाण ? अथ कि तद् धान्यमानप्रमाणम्?
धन्नमाणप्पमाणे-दो असतीओ धान्यमानप्रमाणम् -द्वे असती प्रसुतिः पसती, दो पसतीओ सेतिया, द्वे प्रस्ती सेतिका, चतस्रः सेतिका: चत्तारि सेतियाओ कुलओ, चत्तारि कडवः, चत्वारः कुडवाः प्रस्थः, कुलया पत्थो, चत्तारि पत्थया चत्वारः प्रस्थकाः आढकः, चत्वारः आढगं, चत्तारि आढगाई दोणो, आढका: द्रोणः, षष्टिः आढका: सट्टि आढगाइं जहण्णए कुंभे, जघन्यक: कुम्भः, अशीति: आढका: असीइं आढगाई मज्झिमए कुंभे, मध्यमकः कुम्भः, आढकशतं उत्कर्षक:
३७४. वह धान्यमान प्रमाण क्या है?
धान्यमान प्रमाण -दो असृति [एक पल का माप] की एक प्रसृति [दो पल का माप] दो प्रसृति की एक सेतिका, चार सेतिका का एक कुडव, चार कुडव का एक प्रस्थ, चार प्रस्थ का एक आढ़क, चार आढ़क का एक द्रोण, साठ आढ़क का एक जघन्य कुम्भ, अस्सी आढ़क का एक मध्यम कुम्भ, सौ आढ़क का
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