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अणुओगदाराई
इनके भी अविशेषित, विशेषित, पर्याप्तक और अपर्याप्तक ये भेद प्रतिपाद
नीय हैं। १९. वैमानिक अविशेषित नाम है। कल्पोपन्न.
कल्पातीतज विशेषित नाम है। २०. कल्पोपन्न अविशेषित नाम है । सौधर्मज,
ईशानज, सनत्कुमारज, माहेन्द्रज, ब्रह्मलोकज, लान्तकज, महाशुक्रज, सहस्रारज, आनतज, प्राणतज, आरणज, अच्युतज, विशेषित नाम है।
इनके भी अविशेषित, विशेषित, पर्याप्तक और अपर्याप्तक ये भेद प्रतिपादनीय
२१. कल्पातीतज अविशेषित नाम है । ग्रेवेयक,
अनुत्तरोपपातिक विशेषित नाम है।
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ताराहवे। एतेसि पि अविसे- तारारूपः । एतेषाम् अपि अविसिय-विससिय-पज्जत्तय-अपज्ज- शेषित - विशेषित - पर्याप्तकत्तयभेया भाणियवा।
अपर्याप्तकभेदा: भणितव्याः। १९. अविसेसिए वेमाणिए, विससिए १९. अविशेषितं वैमानिकः, विशेषितं
कप्पोवगे य कप्पातीतगे य। कल्पोपगश्च कल्पातीतगश्च । २०. अविससिए कप्पोवगे, विससिए २०. अविशेषितं कल्पोपगः, विशेषितं
सोहम्मए ईसाणए सणंकुमारए सौधर्मकः ईशानक: सनत्कुमारक: माहिदए बंभलोयए लंतयए माहेन्द्रक: ब्रह्मलोककः लांतककः महासुक्कए सहस्सारए आणयए महाशुक्रकः सहस्रारकः आनतक: पाणयए आरणए अच्चुयए। प्राणतकः आरणक: अच्युतकः । एतेसि पि अविसे सिय-विसेसिय- एतेषामपि अविशेषित-विशेषितपज्जत्तय-अपज्जत्तयभेदा भाणि- पर्याप्तक-अपर्याप्तकभेदा: भणियव्वा ।
तव्याः । २१. अविससिए कप्पातीतए, विस- २१. अविशेषितं कल्पातीतगः, विशेः सिए गेवेज्जए य अणुत्तरोव
षितं वेयकश्च अनुत्तरोपपातिवाइए य।
कश। २२. अविसेसिए गेवेज्जए, विसेसिए २२. अविशेषितं ग्रंवेयकः, विशेषितम् ।
हेट्टिम-गेवेज्जए मज्झिम- अधस्तन-प्रेवेयकः मध्यम-वेयक: गेवेज्जए उरिम-गेवेज्जए। उपरितन-प्रेवेयकः । अविशेषितम् अविसेसिए हेट्टिम-गेवेज्जए, अधस्तन-प्रैवेयक:, विशेषितम् विससिए हेट्रिम-हेट्रिम-गेवेज्जए, अधस्तन-अधस्तन-प्रैवेयकः, अधहेट्टिम - मज्झिम - गेवेज्जए, स्तन-मध्यम-प्रैवेयकः, अधस्तनहेट्रिम - उवरिम - गेवेज्जए। उपरितन-वेयकः। अविशेषितं अविससिए मज्झिम-गेवेज्जए, मध्यम-वेयकः, विशेषितं विसेसिए मज्झिम-हेट्रिम
मध्यम-अधस्तन-प्रैवेयकः, मध्यमगेवेज्जए, मज्झिम-मज्झिम
मध्यम-वेयकः, मध्यम-उपरिगेवेज्जए, मज्झिम-उवरिम
तन-प्रैवेयकः। अविशेषितम् गेवेज्जए। अविससिए उवरिम
उपरितन-वेयकः, विशेषितम् गेवेज्जए, विसेसिए उवरिम
उपरितन - अधस्तन - ग्रेवेयकः, हेट्रिम-गेवेज्जए, उवरिम
उपरितन-मध्यम-वेयकः, उपमज्झिम-गेवेज्जए, उवरिम
रितन-उपरितन-प्रैवेयक: । एतेषाउरिम-गेवेज्जए। एतेसि पि
मपि सर्वेषाम् अविशेषितसव्वेसि अविसेसिय-विसेसिय
विशेषित-पर्याप्तक-अपर्याप्तकभेदा: पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेया भाणि
भणितव्याः। यव्वा । २३. अविससिए अणुत्तरोववाइए, २३. अविशेषितम् अनुत्तरोपपातिकः, विसेसिए विजयए वेजयंतए विशेषितं विजयकः वैजयन्तक: जयंतए अपराजियए सव्वट्ठ- जयन्तकः अपराजितक: सर्वार्थसिद्धए य । एतेसि पि सन्वेसि
सिद्धकश्च । एतेषामपि सर्वेषाम् अविसे सिय-विसेसिय-पज्जत्तय- अविशेषित-विशेषित - पर्याप्तकअपज्जत्तयभेदा भाणियव्वा । अपर्याप्तकभेदाः भणितव्याः ।
२२. ग्रैवेयक अविशेषित नाम है। अधस्तन
ग्रेवेयक, मध्यम ग्रेवेयक, उपरितन |वेयक विशेषित नाम है । अधस्तन ग्रैवेयक अविशेषित नाम है । अधस्तन-अधस्तन ग्रैवेयक, अधस्तन-मध्यम ग्रेवेयक, अधस्तन-उपरितन ग्रेवेयक विशेषित नाम है। मध्यम ग्रैवेयक अविशेषित नाम है। मध्यमअधस्तन ग्रेवेयक, मध्यम-मध्यम अवेयक, मध्यम-उपरितन |वेयक विशेषित नाम है । उपरितन ग्रैवेयक अविशेषित नाम है। उपरितन-अधस्तन ग्रैवेयक, उपरितनमध्यम ग्रैवेयक, उपरितन-उपरितन अवेयक विशेषित नाम है। इनके भी अविशेषित, विशेषित, पर्याप्तक और अपर्याप्तक ये भेद प्रतिपादनीय हैं।
२३. अनुत्तरोपपातिक अविशेषित नाम है।
विजयज, वैजयन्तज, जयन्तज, अपराजितज, सर्वार्थ सिद्धज विशेषित नाम है। ____ इन सबके भी अविशेषित, विशेषित, पर्याप्तक और अपर्याप्तक ये भेद प्रतिपादनीय हैं।
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