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________________ १५८ अणुओगदाराई पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिक विशेषित नाम है। ११. चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिक अविशेषित नाम है। संमूच्छिम चतुष्पद स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिक, गर्भावक्रान्तिकः चतुष्पद स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्य क्योनिक विशेषित नाम है। संमूच्छिम चतुष्पद स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक अविशेषित नाम है। पर्याप्तक संमूच्छिम चतुष्पद स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक, अपर्याप्तक संमूच्छिभ चतुष्पद स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक विशेषित नाम है। गर्भावक्रान्तिक चतुष्पद स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक अविशेषित नाम है। पर्याप्तक गविक्रान्तिक चतुष्पद स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्य क्योनिक, अपर्याप्तक गर्भावक्रान्तिक चतुष्पद स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक विशेषित नाम है। क्खजोणिए य परिसप्पथलयर- योनिकश्च परिसर्पस्थलचरपञ्चे. पंचिदियतिरिक्खजोणिए य। न्द्रियतिर्यगयोनिकश्च । ११. अविसेसिए चउप्पयथलयर- ११. अविशेषितं चतुष्पदस्थलचर पंचिदियतिरिक्खजोणिए, विसे- पञ्चेन्द्रियतिर्यगयोनिकः, विशेसिए सम्मुच्छिमचउप्पयथलयर- षितं सम्मूच्छिमचतुष्पदस्थलपंचिदियतिरिक्खजोणिए य चरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकश्च गम्भवक्कंतियचउप्पयथलयर - गर्भावक्रान्तिकचतुष्पदस्थलचरपंचिदियतिरिक्खजोणिए य। पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकश्च । अविसेसिए सम्मुच्छिमचउप्पय- अविशेषितं सम्मूच्छिमचतुष्पदथलयरर्पोचदियतिरिक्खजोणिए, स्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकः, विसेसिए पज्जत्तयसम्मुच्छिम- विशेषितं पर्याप्तकसम्मूच्छिमचउप्पयथलयरपंचिदितिरि- चतुष्पदस्थलचरपञ्चेन्द्रियतियंगक्खजोणिए य अपज्जत्तय- योनिकश्च अपर्याप्तकसम्मूच्छिमसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचि- चतुष्पदस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्दियतिरिक्खजोणिए य। योनिकश्च । अविशेषितं गर्भाअविसेसिए गब्भवक्कंतियचउ- वक्रान्तिकचतुष्पदस्थलचरपञ्चेप्पयथलयरपंचिदियतिरिक्ख - न्द्रियतिर्यग्योनिकः, विशेषितं जोणिए, विसेसिए पज्जत्तय- पर्याप्तकगर्भावक्रान्तिकचतुष्पदगम्भवक्कंतियचउप्पयथलयर - स्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिचिदियतिरिक्खजोणिए य कश्च अपर्याप्तकगर्भावक्रान्तिकअपज्जत्तयगब्भवक्कंतियचउप्प- चतुष्पदस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्यथलयरपंचिदियतिरिक्ख योनिकश्च । जोणिए य। १२. अविसेसिए परिसप्पथलयर- १२. अविशेषितं परिसर्पस्थलचरचिदियतिरिक्खजोणिए, विसे पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकः, विशेसिए उरपरिसप्पथलयरपंचि षितम् उरपरिसर्पस्थलचरपञ्चेदियतिरिक्खजोणिए य भुयपरि न्द्रियतिर्यग्योनिकश्च भुजपरिसप्पथलयरपंचिदियतिरिक्ख - सर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्जोणिए य। एते वि सम्मुच्छिमा योनिकश्च । एते अपि सम्मू च्छिमाः पर्याप्तकाः अपर्याप्तपज्जत्तगा अप्पजत्तगा य, गब्भ काश्च, गर्भावक्रान्तिकाः अपि वक्कतिया वि पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य भाणियव्वा । पर्याप्तकाः अपर्याप्तकाश्च भणितव्याः । १३. अविसेसिए खहयरपंचिदिय- १३. अविशेषितं खेचरपञ्चेन्द्रियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए तिर्यग्योनिकः, विशेषितं सम्मूसम्मुच्छिमखहयरपंचिदियति - च्छिमखेचरपञ्चेन्द्रियतिर्यगरिक्खजोणिए य गब्भवक्कंतिय- योनिकश्च गर्भावक्रान्तिकखेचरखहयरचिदियतिरिक्खजोणिए पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकश्च । य। अविसेसिए सम्मुच्छिमखह- अविशेषितं सम्मूच्छिमखेचरयरपंचिदियतिरिक्खजोणिए, पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकः, विशेविसेसिए पज्जत्तयसम्मुच्छिम- षितं पर्याप्तकसम्मूच्छिमखेचर १२. परिसर्प स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक अविशेषित नाम है। उर:परिसर्प स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक, भुजपरिसर्प स्थलचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक विशेषित नाम है। ये भी पर्याप्तक और अपर्याप्तक संमूच्छिम तथा पर्याप्तक और अपर्याप्तक गर्भावक्रान्तिक इन भेदों द्वारा प्रतिपादनीय हैं। १३. खेचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक अविशे षित नाम है। संमूच्छिम खेचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यकयोनिक, गर्भावक्रान्तिक खेचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक विशेषित नाम है। संमूच्छिम खेचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक्योनिक अविशेषित नाम है। पर्याप्तक संमूच्छिम खेचर पञ्चेन्द्रिय तिर्यक् योनिक, Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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