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________________ मूल पाठ १००. अहवा उक्कमे छविहे पण्णत्ते, तं जहा १. आणुपुथ्वी २. नामं ३. पमाणं ४. वत्तव्वया ५. अत्याहिगारे ६. समोयारे ॥ उपक्रमाणुओगदारे आणुपुथ्वी-पर्व १०१. से कि तं आणुपुथ्वी ? आणुपुग्यो दसविहा पण्णत्ता तं जहा १. नामापुथ्वी २. वाणपुथ्वी ३. दवाखी ४. बेलापुथ्वी ५. कालाखी ६. विकस णापुवी ७. गणणाणपुथ्वी ८. संठाणाणुपुव्वी ६. सामायारियाणुपुथ्वी १०. भावाणु पुव्वी ॥ नाम-वणाणपुण्वी-पर्व १०२. से किं तं नामाणुपुव्वी ? नामाणुपुव्वी जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्य वा तदुभयाण वा आणुपुग्यो ति नाम कज्जइ । से तं नामाणुतं नामाणु पुची ॥ १०३. से किं तं ठणाणपुबी ? ठवणाणुपुवी--जणं कटुकम्मे या चित्तकम्मे वा पोल्यकम्मे वा लेकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा] पूरिमेवा संघाइमे वा अक्खे वा वराड वा एगो वा अणेगा वा सम्भावठवणाए वा असम्भावठवणाए वा आणुपुथ्वी ति ठवणा ठविज्जह। से तं वाणी ॥ Jain Education International चौथा प्रकरण संस्कृत छाया अथवा उपक्रमः षड्विधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - १. आनुपूर्वी २. नाम ३. प्रमाणम् ४. वक्तव्यता ५. अर्थाधिकारः ६. समवतारः । उपक्रमानुयोगद्वारे आनुपूर्वी-पदम् अय किसा आनुपूर्वी ? जानु पूर्वी दशविधा प्रता प्रज्ञप्ता, तद्यथा१. नामानुपुर्वी २.स्थापनानुपूर्वी २. यापूर्वी ४. क्षेत्रानुपूर्वी ५. कालानुपूर्वी ६. उत्कीर्तनानुपूर्वी ७. गणनानुपूर्वी ८. संस्थानानुपूर्वी ९. सामाचार्यानुपूर्वी १०. भावानु पूर्वी । नामस्थापनानुपूर्वी-पदम् अथ किसा नामानुपूर्वी ? नामानुपूर्वी - यस्य जीवस्य वा अजीवस्य वा जीवानां वा अजीवानां वा तदुभयस्य वा तदुभयेषां वा आनुपूर्वी इति नाम कियते सा एषा नामानु । अथ कि सा स्थापनानुपूर्वी ? स्थापनानुपूर्वी - यत् काष्ठकर्मणि वा चित्रकर्मणि वा पुस्तकर्मणि वा लेप्यकर्मणि वा ग्रन्थिमे वा वेष्टिमे वा पूरिने वा संपाति वा भवा वराटके वा एको वा अनेके वा सद्भावस्थापनया वा असद्भावस्थापनया वा आनुपूर्वी इति स्थापना स्थाप्यते । सा एवा स्थापनानुपूर्वी । For Private & Personal Use Only हिन्दी अनुवाद १००. अथवा उपक्रम के छह प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे - आनुपूर्वी, नाम, प्रमाण, वक्तव्यता, अर्थाधिकार और समवतार ।' उपक्रम अनुयोगद्वार में आनुपूर्वी-पद १०१. वह आनुपूर्वी क्या है ? आनुपूर्वी के दस प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-नाम आनुपूर्वी स्थापना आनुपूर्वी, द्रव्य आनुपूर्वी क्षेत्र अनुपूर्वी काल अनूपूर्वी उत्कीर्तन आनुपूर्वी, गणना आनुपूर्वी, संस्थान आनुपूर्वी, सामाचारी आनुपूर्वी और भाव आनुपूर्वी ।' नाम-स्थापना श्रानुपूर्वी-पद १०२. वह नाम आनुपूर्वी क्या है ? नाम आनुपूर्वी - जिस जीव या अजीव का जिन जीवों या अजीवों का जिस जीवअजीव दोनों का, जिन जीवों और अजीवों दोनों का आनुपूर्वी यह नाम किया जाता है वह नाम आनुपूर्वी है। १०३. वह स्थापना आनुपूर्वी क्या है ? स्थापना आनुपूर्वीकाष्ठाकृति, चित्राकृति, वस्त्राकृति या प्याकृति में बंधकर, वेष्टित कर, भरकर या जोड़कर बनाई हुई पुतली में, अक्ष या कौड़ी में एक या अनेक सद्भावस्थापना अथवा असद्भावस्थापना के द्वारा आनुपूर्वी का जो रूपांकन या कल्पना की जाती है । वह स्थापना आनुपूर्वी है । www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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