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________________ दसवेआलियं (दशवकालिक) ४३४ अध्ययन ६ (प्र० उ०) : श्लोक १४-१६ टि० २१.२३ श्लोक १४: २१. भारत ( भारहंख ): यहाँ भारत का अर्थ जम्बूद्वीप का दक्षिण भाग है। श्लोक १५: २२. कार्तिक पूर्णिमा ( कोमुइ ): दशवकालिक की व्याख्या में इसका अर्थ कार्तिक पूर्णिमा किया है। मोनियर विलियम्स ने इसके कार्तिक पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा ये दोनों अर्थ किए हैं। 'खे सोहइ विमले अब्भमुक्के' इसके साथ आश्विन पूर्णिमा की कल्पना अधिक संगत है : शरद पूर्णिमा की विमलता अधिक प्रचलित है । श्लोक १६ : २३. समाधियोग · और बुद्धि के ( समाहिजोगे बुद्धिए ख ) : ___ धूणिद्वय में इनका अर्थ षष्ठी विभक्ति और टीका में तृतीया विभक्ति के द्वारा किया है तथा सप्तमी के द्वारा भी हो सकता है। चूणि के अनुसार समाधियोग,, श्रुत, शील और बुद्धि का सम्बन्ध 'महाकर' शब्द से होता है-जैसे समाधियोग, श्रुत, शील और बुद्धि के महान् आकर । टीका के अनुसार इनका सम्बन्ध 'महेसी' शब्द से है-जैसे समाधियोग, श्रुत, शील और बुद्धि के द्वारा महान् की एषणा करने वाले। १--अ० चू० : सव्वं दक्खिणं जंबूदीववरिसं । २-(क) अ० चू० : कुमुदाणि उप्पलविसेसो, कुमदेहि प्रहसणभूतेहि क्रीडणं जिए सा कोमुदी, कुमुयाणि वा सन्ति सा पुण कत्तिय पुणिमा। (ख) जि० चू० पृ० ३०७ । (ग) हा० टी०प० २४६ ।। ३ -A Sanskrit-English Dictionary, P. 316. ४ ---(क) अ० चू० : महागरा समाधिजोगाणां सुतस्स बारसंगस्स सीलस्स य बुद्धिए य अधवा सुतसीलबुद्धीए समाधिजोगाणं महागरा। (ख) जि० चू० पृ० ३०८ । ५ हा० टी०५० २४६ : 'महैषिणो' मोक्षषिणः, कथं महैषिण इत्याह --'समाधियोगच तशीलबुद्धिभि' समाधियोगः-ध्यान विशेषः श्र तेन - द्वादशाङ्गाभ्यासेन शीलेन-परद्रोहविरतिरूपेण बुद्ध या च औत्पत्तिवयादिरूपया। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003625
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1974
Total Pages632
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size17 MB
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