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दसवेआलियं (दशवकालिक)
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अध्ययन ७: श्लोक ५७ टि०८६-८७
५६. गुण-दोष को परख कर बोलने वाला ( परिक्खभासीक):
गुण-दोष की परीक्षा करके बोलने वाला परीक्ष्यभाषी कहलाता है। जिनदास चूणि में परिज्जभासी' और 'परिक्खभासी' को एकार्थक माना गया है ।
८७. पाप मल (धुन्नमलं ग ) :
धुन्न का अर्थ पाप है।
१-(क) अ० चू० पृ० १७६ : परिक्ख सुपरिक्खित्तं तथाभासितु सील यस्स सो परिक्खभासी।
(ख) हा० टी०प० २२३ : 'परीक्ष्यभाषी' आलोचितवक्ता । २-जि० चू० पु. २६४ : 'परिजभासी' नाम परिज्जभासित्ति वा परिक्खभासित्ति वा एगहा। ३-(क) अ० चू० पृ० १७६ : धुण्णं पावमेव ।
(ख) जि० चू० पृ० २६४ : तत्थ धुण्णंति वा पावंति वा एगट्ठा। (ग) हा० टी० प० २२४ : धुन्नमलं पापमलम् ।
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