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________________ दसवेलियं ( दशवैकालिक ) (५) भगवती (६) ज्ञाताधर्म - कथा (७) उपासकदशा (4) अन्तत (E) अनुक्त रोपपातिकदशा (१०) प्रश्नव्याकरण (११) विपाक (१२) दृष्टिबाद (२१+२०+१९७१) ( ७२ ) आवश्यक' (७३) अन्तकृतदशा ( अन्य बाचना का ) (७४) प्रश्नव्याकरणदशा (७५) अनुत्तरोपपातिक दशा ( अन्य वाचना का) (७६) बन्धदशा अंग :― ( १ ) आचार (१) सूत (३) स्थान ( ४ ) समवाय (५) भगवती (६) धर्म-कथा (७) उपासकदशा (८) कृतदा (१) अनुत्तरोपपातिन्दशा (१०) प्रश्नव्याकरण ( ११ ) विपाक उपांग : (१) औपपातिक (२) राजप्रश्नीय Jain Education International २४ (७७) द्विगृद्धिदशा (७) दीर्घदशा For Private & Personal Use Only (७६) स्वप्न भावना ( 50 ) चारण भावना (८१) तेजो निसर्ग (२) आशीविष भावना (३) दृष्टिविष भावना ( ८४ ) ५५ अध्ययन कल्याणफल विपाक । ५५ अध्ययन पापफल विपाक । (३) जीवाभिगम (४) प्रज्ञापना (५) सूर्यप्रति (५) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ( ७ ) चन्द्रप्रज्ञप्ति (८) निरयावलिका (e) करपावतंसका (१०) पुष्पिका (११) पुष्प चूलिका (१२) वृष्णिदा प्रकीर्णक : १. उपरोक्त ७२ नाम नन्दी सूत्र में उपलब्ध होते है । २. ये छह ( ७३ से ७८ ) स्थानांग ( सूत्र २३४७ ) में हैं। ३. ये पाँच ( ७२ से ८३ ) व्यवहार सूत्र में हैं । ४. सामाचारी शतक आगमस्थात्वनाधिकार (३८ ) - समसुंदरमण विरचित । (१) चतुःशरण (२) चन्द्रक (३) आतुरप्रत्याख्यान (४) महाप्रत्याख्यान www.jainelibrary.org
SR No.003625
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1974
Total Pages632
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size17 MB
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