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भूमिका
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आगम
श्रीमज्जयाचार्य के अनुसार ८४ आगम इस प्रकार हैंउत्कालिक :
(१) दश वैकालिक (२) कल्पिकाकल्पिक (३) क्षुल्लककल्प (४) महाकल्प
५) औपपातिक (६) राजप्रश्नीय (७) जीवाभिगम (८) प्रज्ञापना (8) महाप्रज्ञापनो (१०) प्रमादाप्रमाद (११) नंदी (१२) अनुयोगद्वार (१३) देवेन्द्रस्तव (१४) तन्दुल वैचारिक (१५) चन्द्रवेध्यक (१६) सूर्यप्रज्ञप्ति (१७) पोरसीमंडल (१८) मंडलप्रवेश (१६) विद्याचरणविनिश्चय (२०) गणिविद्या (२१) ध्यानविभवित (२३) मरणविभक्ति (२३) आत्मविशोधि (२४) वीतरागश्रुत (२५) संलेखनाश्रुत (२६) विहारकल्प (२७) चरणविधि (२८) आतुरप्रत्याख्यान (२६) महाप्रत्याख्यान कालिक :
(१) उत्तराध्ययन (२) दशाश्रुतस्कं (३) बृहत्कल्प
(४) व्यवहार (५) निशीथ (६) महानिशीथ (७) ऋषिभाषित (८) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति (६) द्वीपसागरप्रज्ञप्ति (१०) चन्द्रप्रज्ञप्ति (११) क्षुल्लिकाविमानविभक्ति (१२) महतीविमानविभक्ति (१३) अंग चूलिका (१४) बंग चुलिका (१५) विवाह चूलिका (१६) अरुणोपपात (१७) वरुणोपपात (१८) गरुडोपपात (१६) धरणोपपात (२०) वैश्रमणोपपात (२१) वेलन्धरोपपात (२२) देवेन्द्रोपपात (२३) उत्थानश्रुत (२४) समुत्थानश्रुत (२५) नागपरितापनिका (२६) कल्पिका (२७) कल्पवतंसिका (२८) पुष्पिका (२६) पुष्प चूलिका (३०) वृष्णी दशा अंग :(१) प्राचार (२) सूत्रकृत (३) स्थान (४) समवाय
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