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दसवेलियं ( दशर्वकालिक )
७० कंद मूल पलंब वा आमं छिन्नं व सन्निरं । तंबागं सिंगबेरं च आमगं
परिवज्जए ॥
७१ तहेव
सत्तुचुणाई
कोलचुणाई आवणे । सक्कुति फाणियं पूयं अन्नं वा वि तहाविहं ॥
७२ विक्कायमाणं पस
रएण
परिका सिवं । पटियाइवले
दंतियं
न मे कप्पइ तारिसं ॥
७३ बहु-अद्वियं
पुग्गलं
अणिमिसं वा बहु-कंट अत्थियं तदुयं तिदुषं बिल्लं उच्छुखंड व सिवल ॥ ७४- अप्पे सिया भोवणजाए बहु-- धम्मिए देतियं
पडियाडवले न मे कप्पइ तारिसं ॥
७५ तदुच्चावयं पाणं
वारपोयणं । चाउलोदगं
9-8
अनुवा संसेइमं
अहणाधोवं
विवज्जए ॥
७६ जं जाणेज्ज चिराधोयं मईए दंसणेण वा । परिपुऊिण सोच्या वा जं च निस्संकियं भवे ॥
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कन्दं मूलं प्रलम्बं वा,
आमं छिन्नं वा 'सन्निरम्' : तुम्बकं श्रृङ्गबेञ्च,
आमकं परिवर्जयेत् ॥७०॥
तथैव सक्तु चूर्णानि कोल-चूर्णानि आपणे ।
फाणितं पूर्व अन्यद्वाऽपि तथाविधम् ॥ ७१ ॥
वर्त
रजसा परिस्पृष्टम् ।
ददतीं प्रत्याचक्षीत,
न मे कल्पते तादृशम् ।।७२।।
बह्वस्थिकं पुद्गलं, अनिमिषंष्टकम् ।
अस्थिकं तिन्दुकं बिल्वं, इण्ड वा शिम्बिम् ।।७३।।
अयं स्वाद भोजन-जातं,
बहु - उज्झित-धर्मकम् ।
ददत प्रत्याचक्षीत, न मे कल्पते तादृशम् ॥ ७४ ॥
सर्वोच्चावचं पानं,
अथवा वार धावनम् । संस्वेदजं (संसेकजं ) तण्डुलोदकं, अधुना धौतं विवर्जयेत् ॥ ७५ ॥
यज्जानीयाचिचराद्धौतं,
मत्या दर्शनेन वा ।
प्रतिपृच्छ्य श्रुत्वा वा यच्चनि
भवेत् ॥७६॥
अध्ययन ५ ( प्र० उ० )
श्लोक ७०-७६
७० - मुनि प्रपक्त्र कंद, मूल, फल, हुआ पत्ती का शाक, १७८ घीया १७६ और अदरक न ले ।
छिला
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७१-७२ -- इसी प्रकार सत्तू, 5" बेर का पूर्ण पड़ी गीला-गुड़ (राव), पुआ, इस तरह की दूसरी वस्तुएँ भी जो बेचने के लिए दुकान में रखी हों, परन्तु न बिकी हों, १८३ रज से ४ स्पृष्ट ( लिप्त ) हो गई हों तो मुनि देती हुई स्त्री को प्रतिषेध करे इस प्रकार की वस्तुएं मैं नहीं ले
सकता ।
१८१
१८८
७३-७४- बहुत अस्थि वाले पुद्गल, बहुत कांटों वाले अनिमिष, १८५ आस्थिक, १८६ और वे के फल, गण्डेरी और फली जिनमें खाने का भाग थोड़ा हो और डालना अधिक पड़े – देती हुई स्त्री को मुनि प्रतिषेध करे - इस प्रकार के फल आदि मैं नहीं ले सकता ।
७५ ७७ - इसी प्रकार उच्चावच और बुरा पानी १६० या गुड़ के घड़े का घोवन, १६१ आटे का घोवन, १६२ चावल का घोवन, जो अधुनाधौत ( तत्काल का घोवन) हो, १६३ उसे मुनि न ले । अपनी मति १६४ या दर्शन से, पूछकर या सुनकर जान ले – 'यह धोवन चिरकाल: का है' और निःशंकित हो जाए तो उसे जीव
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