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दसवे आलियं ( दशर्वकालिक )
आगम-विच्छेद का क्रम
आगमों के ये वर्गीकरण प्राचीन हैं। दिगम्बर परम्परा के अनुसार आज कोई भी आगम उपलब्ध नहीं है । वीर निर्वाण से ६८३ वर्ष के पश्चात् अंग साहित्य लुप्त हो गया । उसका क्रम इस प्रकार है'
तिलोयपण्णत्ती
जयधवला आदिपुराण
केवली : १. २.
श्रुतकेवली
दश
५.
पूर्वधारी १.
२.
३.
४.
१.
२.
३.
१.
५.
६.
७.
ε.
१०.
११.
एकादशांगारी १.
८.
३.
४.
५.
आचारांगधारी १.
२.
३.
४.
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गौतम
सुधर्मा
जम्बू
नन्दि
नन्दिमित्र
अपराजित
गोवर्द्धन
विशाख
प्रोष्ठिल
क्षत्रिय
जय
नाग
सिद्धार्थ
भूतिसेन
विजय
बुद्धिल
गंगदेव
रुधर्म
नक्षत्र
जयपाल
पांडु
ध्रुवसेन
कंसार्य
सुभद्र
योभन
यशोबाहु
लोहार्य
धवला
( वेदनाखंड)
गौतम
लोहार्य
जम्बू
विष्णु
नन्दि
अपराजित
गोवन
भद्रबाहु
विशाख
प्रोष्ठिल
क्षत्रिय
जय
नाग
सिद्धार्थ
धृतिसेन
विजय
बुद्धिल
गंगदेव
धर्मसेन
नक्षत्र
जयपाल
पांडु ध्रुवसेन
कंस
-जय धवला प्रस्तावना पृष्ठ ४६ ।
सुभद्र
यशोभद्र
२०
यशोबाहु
लोहाचार्य
गौतम
सुधर्मा
जम्बू
विष्णु
नन्दिमिष
अपराजित
गोवर्द्धन
भद्रबाहु
विशाखाचार्य
प्रोष्ठिल
क्षत्रिय
जयसेन
नागसेन
सिद्धार्थ
मूर्तिसेन
विजय
बुद्धिल
गंगदेव
सुधमं
नक्षत्र
जयपाल
पांडु
बसेन
कंसाचार्य
सुभद्र
यशोभद्र
बाहु
गौतम
सुधर्मा
जम्बू
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विष्णु
नन्दिमित्र
अपराजित
गोवर्द्धन
भद्रबाहु
विशाख
प्रोष्ठिल
क्षत्रिय
जय
नाग
सिद्धार्थ
धतिसेन
विजय
बुद्धिल
गंगदेव
सुधर्म
नक्षत्र
जयपाल
पांडु
वसेन
कंसार्य
सुभद्र
यशोभद
श्रुतावतार
गौतम
सुधर्मा
जम्बू
विष्णु
नन्दि
अपराजित
गोवन
भद्रबाहु
विशाखदत्त
प्रोष्ठिल
क्षत्रिय
जय
नाग
सिद्धार्थ
धृतिषेण
विजयसेन
बुद्धिमान्
गंग
धर्म
नक्षत्र
जयपाल
पांडु
इमसेन
कंस
सुभद्र
अभयभद्र
जयवाड़
भद्रबाहु लोहार्य लोहार्य
काल
तीन केवली
६२ वर्ष
चार श्रुतकेवली
१०० वर्ण
ग्यारह दशपूर्वधारी वर्ष
१८३
पांच एकादशांगधारी २२० वर्ष
लोहा
दिगम्बर कहते हैं कि अङ्गगत अर्द्धमागधी भाषा का वह मूल साहित्य प्रायः सर्व सुप्त हो गया दृष्टिवाद अन के पूर्वगतग्रन्थ का कुछ अंश ईस्वी की प्रारम्भिक शताब्दी में श्रीधर सेनाचार्य को ज्ञात था । उन्होंने देखा कि यदि वह शेषांश भी लिपिबद्ध नहीं किया
चार आचारांगधारी
११८
६८३
वर्ण
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