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________________ नायाधम्मकहाओ १. जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं धम्मकहाणं नवमस्स वग्गस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, दसमस्स णं भंते! वग्गस्स समणेणं भगवया महावीरेण के अट्ठे पण्णत्ते ? ४१५ दसमो वग्गो : दशम वर्ग १-८ अज्झयणाणि १८ अध्ययन २. एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं दसमस्स वग्गस्स अट्ठ अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा- संगहणी - गाहा १. कन्हा य २. कण्हराई, ३. रामा तह ४. रामक्खिया । ५. क् या ६. वसुगुप्ता ७. वसुमित्ता ८ वसुंधरा देव ईसाणे ॥ १ ।। ३. जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं धम्मकहाणं दसमस्स वग्गस्स अट्ठ अज्झयणा पण्णत्ता, दसमस्स णं भंते! वग्गस्स पढमज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ।। ४. एवं खलु जंबू तेगं कालेनं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा फज्जुवास ।। ५. तेगं कालेनं तेणं समएणं कण्हा देवी ईसाने कप्पे कन्हवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए कण्होंसि सीहासर्णसि, सेसं जहा कालीए । ६. एवं अट्ठ वि अज्जायना काली- गमएणं नायव्या नवरं पुव्यभवो वाणारसीए नयरीए दोजणीओ रायगिहे नयरे दोजणीओ। सावत्थीए नवरीए दोजणीओ कोसंबीए नवरीए दोजणीओ। 1 रामे पिया धम्मा माया । सव्वाओ वि पासस्स अरहओ अंतिए पव्वइयाओ । पुप्फचूलाए अज्जाए सिस्सिणियत्ताए । ईसाणस्स अग्गमहिसीओ। ठिई नवपलिजमाई। महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिंति मुच्चिहिंति सव्वदुक्खाणं अंतं काहिंति ।। ७. एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं धम्मकहाणं दसमस्स वग्गस्स अयमद्वे पण्णत्ते ॥ ८. एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्धेणं पुरिसोत्तमेणं पुरिससीहेणं जाव सिद्धिमइनामधे ठाणं संपत्तेणं धम्मकहाणं अयमट्ठे पण्णत्ते । परिसेसो धम्मका सुपवसंघो सम्मत्तो । दसहिं वग्गेहिं नायाधम्मकहाओ समत्ताओ ।। Jain Education International दूसरा श्रुतस्कन्ध, दशम वर्ग सूत्र १-८ १. भन्ते! यदि श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथाओं के नौंवे वर्ग का यह अर्थ प्रज्ञप्त किया है तो भन्ते! दसवें वर्ग का श्रमण भगवान महावीर ने क्या अर्थ प्रज्ञप्त किया है? २. जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर ने दसवें वर्ग के आठ अध्ययन प्रज्ञप्त किए हैं। जैसे- संग्रहणी गाया- कृष्णा, कृष्णराजि, रामा, रामरक्षिका, वसु, वसुगुप्ता, वसुमित्रा, वसुन्धरा ये सब ईशान कल्प में हैं। -- ३. भन्ते! यदि श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथाओं के दसवें वर्ग के आठ अध्ययन प्रज्ञप्त किए हैं तो भन्ते! उन्होंने दसवें वर्ग के प्रथम अध्ययन का क्या अर्थ प्रज्ञप्त किया है? ४. जम्बू! उस काल और उस समय राजगृह में समवसरण जुड़ा यावत् जन-समूह ने पर्युपासना की। ५. उस काल और उस समय कृष्णा देवी ईशान कल्प कृष्णावतंसक विमान और सुधर्मा सभा में कृष्ण सिंहासन पर विहार कर रही थी। शेष, जैसे - काली । | ६. इसी प्रकार आठों ही अध्ययन काली के वर्णन के समान ज्ञातव्य है। विशेष- पूर्वभव में दो वाराणसी की, दो राजगृह की, दो श्रावस्ती की और दो कौशाम्बी नगरी की राम-पिता, धर्मा-माता सभी अर्हत पार्श्व के पास प्रव्रजित हुई। आर्या पुष्पचूला को शिष्याओं के रूप में प्रदान किया। ईशान की अग्रमहिषियां बनीं। स्थिति नौ पल्योपम। महाविदेह वर्ष में सिद्ध, बुद्ध, मुक्त और सब दुःखों का अन्त करेगी। ७. जम्बू! इस प्रकार श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथाओं के दसवें वर्ग का यह अर्थ प्रज्ञप्त किया है। ८. जम्बू ! इस प्रकार धर्म के आदिकर्त्ता, तीर्थंकर, स्वयंबुद्ध, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह यावत् सिद्धिगति नामक स्थान को संप्राप्त भ्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथाओं का यह अर्थ प्रज्ञप्त किया है। परिशेष धर्मकथा श्रुतस्कन्ध समाप्त । दस वर्गों के साथ ज्ञातधर्मकथाएं समाप्त । ग्रन्थ परिमाण कुल अक्षर २२६९४३ अनुष्टुप् श्लोक ७०९१ अक्षर ३१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003624
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages480
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size17 MB
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