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________________ नायाधम्मकहाओ ३६७ सत्रहवां अध्ययन : सूत्र २२-२६ दव्वाणं पुंजे य नियरे य करेंति, करेत्ता तेसिं परिपेरतेण पाटल-पुटों और अन्य अनेक घ्राणेन्द्रिय प्रायोग्य द्रव्यों के पुञ्ज और पासए ठवेंति, ठवेत्ता निच्चला निप्फंदा तुसिणीया चिटुंति। निकर करते। निकर बनाकर उनके आसपास चारों ओर जाल बिछा जत्थ-जत्थ ते आसा आसयंति वा सयंति वा चिट्ठति वा देते। बिछाकर स्वयं निश्छल, निष्पन्द एवं मौन रहते। तुयटृति वा तत्थ-तत्थ णं ते कोडुबियपुरिसा गुलस्स जाव जहां-जहां वे अश्व बैठते, सोते, खड़े रहते अथवा त्वम् वर्तन पुप्फुत्तर-पउमुत्तराए अण्णेसिं च बहूणं जिभिंदिय-पाउग्गाणं करते, वहां-वहां वे कौटुम्बिक पुरुष बहुत सा गुड़ यावत् दव्वाणं पुंजे य नियरे य करेंति, करेत्ता वियरह खणंति, खणित्ता पुष्पोत्तर-पद्मोत्तर' और अन्य अनेक रसनेन्द्रिय-प्रायोग्य द्रव्यों के गुलपाणगस्स खंडपाणगस्स बोरपाणगस्स अण्णेसिं च बहूणं पुञ्ज और निकर करते। ऐसा कर विवर खोदते। खोदकर उन्हें पाणगाणं वियरए भरेंति, भरेत्ता तेसिं परिपेरतेणं पासए ठवेंति, गुड़-पानक, खाण्ड-पानक, बोर-पानक तथा अन्य अनेक पानकों से ठवेत्ता निच्चला निप्फंदा तुसिणीया चिट्ठति। भरते। भरकर उन अश्वों के आसपास चारों ओर जाल बिछा देते। जहि-जहिं च णं ते आसा आसयंति वा सयंति वा चिट्ठति बिछाकर स्वयं निश्चल, निष्पन्द एवं मौन रहते। वा तुयटृति वा तहि-तहिं च णं ते कोडुबिधपुरिसा बहवे कोयवया जहां-जहां वे अश्व बैठते, सोते, खड़े रहते अथवा त्वग् वर्तन जाव सिलावट्टया अण्णाणि य फासिंदिय-पाउग्गाई करते, वहां-वहां वे कौटुम्बिक पुरुष बहुत सी रजाइयां यावत् शिलापट्टक अत्युय-पच्चत्थुयाइं ठवेंति, ठवेत्ता तेसिं परिपेरतेणं पासए ठवेत्ति, तथा अन्य अनेक स्पर्शनन्द्रिय प्रायोग्य आस्तरण, प्रत्यास्तरणों की ठवेत्ता निच्चला निष्फंदा तुसिणीया चिट्ठति ।। स्थापना करते। स्थापना कर उन अश्वों के चारों ओर जाल बिछा देते। बिछाकर स्वयं निश्चल, निष्पन्द एवं मौन रहते। २३. तए णं ते आसा जेणेव ते उक्किट्ठा सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधा २३. तब वे अश्व, जहां वे उत्कृष्ट शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गंध थे, तेणेव उवागच्छति ।। वहां आते। अमुच्छिय-आसाणं सायत्त-विहार-पदं २४. तत्थ णं अत्थेगइया आसा अपुव्वा णं इमे सद्द-फरिस-रस- रूव-गंधत्ति कटु तेसु उक्किट्ठेसु सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधेसु अमुच्छिया अगढिया अगिद्धा अणज्झोववण्णा तेसिं उक्किट्ठाणं सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधाणं दूरंदूरेणं अवक्कमंति । तेणं तत्थ पउर-गोयरा पउर-तणपाणिया निब्भया निरुव्विग्गा सुहंसुहेणं विहरति । अमूछित अश्वों का स्वायत्त-विहार-पद २४. ये शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गंध अपूर्व हैं--ऐसा मानकर उनमें से कुछ अश्व उन उत्कृष्ट शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गंधद्रव्यों से मूछित, ग्रथित, गृद्ध एवं अध्युपपन्न नहीं हुए, अपितु उन्होंने उन उत्कृष्ट शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्धद्रव्यों का दूर से ही अपक्रमण कर दिया। वहां वे प्रचुर गोचरभूमि तथा प्रचुर घास पानी को प्राप्त हुए और निर्भय, निरुद्विग्न रह कर सुखपूर्वक विहार करने लगे। निगमण-पदं २५. एवामेव समणाउसो! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा आयरिय-उवज्झायाणं अंतिए मुडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पब्वइ ए समाणे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधेसु नो सज्जइ नो रज्जइ नो गिज्झइ नो मुज्झइ नो अज्झोववज्झइ, से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाण य अच्चणिज्जे जाव चाउरते संसारकतारं वीईवइस्सइ।। निगमन-पद २५. आयुष्मन् श्रमणो! इसी प्रकार हमारा जो निर्ग्रन्थ अथवा निर्ग्रन्थी आचार्य-उपाध्याय के पास मुण्ड हो अगार से अनगारता में प्रव्रजित हो शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध-द्रव्यों में आसक्त, अनुरक्त, गृद्ध, मुग्ध और अध्युपपन्न नहीं होता, वह इस लोक में भी बहुत श्रमणों, बहुत श्रमणियों, बहुत श्रावकों और बहुत श्राविकाओं द्वारा अर्चनीय होता है यावत् वह चार अन्त वाले संसार-रूपी कान्तार का पार पा लेगा। मुच्छिय-आसाणं परायत्त-पदं २६. तत्थ णं अत्थेगइया आसा जेणेव उक्किट्ठा सद्द-फरिस-रस-रूव- गंधा तेणेव उवागच्छति । तेसु उक्किट्ठेस सद्द-फरिस-रस-रूवगंधेसु मुच्छिया गढिया गिद्धा अज्झोववण्णा आसेविउं पयत्ता यावि होत्था । मूर्च्छित अश्वों का परायत्त-पद २६. कुछ अश्व, जहां वे उत्कृष्ट शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध-द्रव्य थे, वहां आए। उन उत्कृष्ट शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध-द्रव्यों में मूछित, ग्रथित, गृद्ध और अध्युपपन्न हो, उनके आसेवन में प्रवृत हो गए। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003624
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages480
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size17 MB
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