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________________ टिप्पण सूत्र १४ १. (वत्तिया) गोल हुए ब्रीहि के पत्ते मध्यगत शलाका को परिवेष्टित करने के कारण नाल जैसे होते हैं। सूत्र १९ ३. खला (खलयं) वह भूमि जहां कटाई होने के पश्चात् धान का खला निकाला जाता है, धान का मर्दन कर धान्यकणों को तुषों से अलग किया जाता है। सूत्र १५ २. मगधदेश प्रसिद्ध प्रस्थ प्रमाण (मागहए पत्थए) मागध प्रस्थ एक माप विशेष का वाचक है। जैसे-- दो असईओ पसई, दो पसइओ उ सेइया होइ। चउसेइयो उ कुडओ, चउकुडओ पत्थओ नेउ।। इस प्रमाण से मगधदेश में व्यवहृत होने वाला प्रस्थ मागध प्रस्थ कहलाता है। ४. कुम्भ (कुंभ) कुंभ का सामान्य अर्थ है--घड़ा। पर यहां यह परिमाण विशेष का वाचक है। उसके तीन प्रकार हैं-- जघन्य-साठ आढक (एक आढक-चार प्रस्थ) मध्यम-अस्सी आढक उत्कृष्ट-सौ आढक। १. ज्ञातावृत्ति, पत्र-१२५ --वत्तिय त्ति व्रीहीणां पत्राणिमध्यशलाकापरिवेष्टनेन ३. वही--खलकं धान्यमलनस्थण्डिलम् । नालरूपतया वृत्तानि भवन्ति तद्वृत्ततया जातवृत्तत्वाद्वर्तित्ता: शाखादीनां वा ४. वही--चतुष्प्रस्थं आढकः, आढकानां षष्ट्या जघन्य: कुम्भः, अशीत्या समतया वृत्तीभूता: सन्तो वर्तिता अभिधीयन्ते। मध्यमः, शतेनोत्कृष्ट इति। २. वही, पत्र-१२६--अनेन प्रमाणेन मगधदेश व्यवहृतः प्रस्थो मागध प्रस्थः । Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003624
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages480
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size17 MB
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