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________________ पांचवां अध्ययन : सूत्र ७५-७६ १४८ नायाधम्मकहाओ मासाणं भक्खाभक्ख-पदं मासों (माषों) की भक्ष्याभक्ष्यता-पद ७५. मासा ते भंते! किं भक्खेया? अभक्खया? ७५. भन्ते! तुम्हारे माष भक्ष्य हैं या अभक्ष्य हैं? सुया! मासा भक्खेया वि अभक्खेया वि। शुक । माष भक्ष्य भी हैं, अभक्ष्य भी हैं। से केणद्वेणं भते! एवं वुच्चइ--मासा भक्खेया वि अभक्खेया ___ भन्ते! किस अर्थ से ऐसा कहते हैं--माष भक्ष्य भी हैं अभक्ष्य भी वि? सुया! मासा तिविहा पण्णता, तं जहा--कालमासा य अत्थमासा य धण्णमासा य। तत्थ णं जेते कालमासा ते दुवालसविहा पण्णत्ता, तं जहा--सावणे भद्दवए आसोएकत्तिए मग्गसिरे पोसे माहे फग्गुणे चेते वइसाहे जेट्ठामूले आसाढे। तेणंसमणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। ___ तत्थं णं जेते अत्थमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--हिरण्णमासा य सुवण्णभासा य। तेणं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते घण्णमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--सत्थपरिणया य असत्थपरिणया य। तत्य णं जेते असत्थपरिणया ते समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णंजेते सत्थपरिणया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--फासुया य अफासुया य। अफासुया णंसुया! समणाणं निग्गंथाणंनोभक्खेया। तत्थणंजेते फासुया ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा--एसणिज्जा य अणेसणिज्जाय। तत्थं णं जेते अणेसणिज्जा ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थंणं जेते एसणिज्जा ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा--जाइया य अजाइया य । तत्थ णं जेते अजाइया तेणं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थं णं जेते जाइया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--लद्धाय अलद्धा य। तत्थ णं जेते अलद्धा ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते लद्धा ते णं समणाणं निग्गंथाणं भक्खेया। एएणं अटेणं सुया! एवं वुच्चइ--मासा भक्खेया वि अभक्खया वि।। शुक! माष तीन प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे--कालमास, अर्थमाष और धान्यमाष। उनमें वे जो काल मास है--वे बारह प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे--श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मृगसर, पौष, माघ, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठामूल और आषाढ़। वे श्रमण निर्ग्रन्थों के अभक्ष्य हैं। उनमें वे जो अर्थमाष हैं वे दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे--हिरण्य माष और सुवर्ण माष। वे श्रमण निर्ग्रन्थों के अभक्ष्य हैं। उनमें वे जो धान्यमाष हैं, वे दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-- शस्त्रपरिणत और अशस्त्रपरिणत। उनमें जो अशस्त्रपरिणत हैं, वे श्रमण निर्ग्रन्थों के अभक्ष्य हैं। उनमें वे जो शस्त्रपरिणत हैं वे दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे--प्रासुक और अप्रासुक। शुक! अप्रासुक श्रमण निर्ग्रन्थों के भक्ष्य नहीं है, उनमें वे जो प्रासुक हैं, वे दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे--एषणीय और अनेषणीय। उनमें वे जो अनेषणीय हैं, वे श्रमण निर्ग्रन्थों के अभक्ष्य हैं। उनमें वे जो एषणीय हैं, वे दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे--याचित और अयाचित । उनमें वे जो अयाचित हैं, वे श्रमण-निर्ग्रन्थों के भक्ष्य नहीं उनमें वे जो याचित हैं, वे दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-- लब्ध और अलब्ध। उनमें वे जो अलब्ध हैं, वे श्रमण निर्ग्रन्थों के अभक्ष्य हैं। उनमें वे जो लब्ध हैं, वे श्रमण निर्ग्रन्थों के भक्ष्य हैं। शुक! इस अर्थ से ऐसा कहते हैं, मास भक्ष्य भी हैं, अभक्ष्य भी अस्तित्व-प्रश्न-पद ७६. आप एक हैं? आप दो हैं? आप अक्षय हैं? आप अव्यय हैं? आप अवस्थित हैं? आप भूत, वर्तमान और भावी अनेक पयार्यों से युक्त अत्थित्त-पण्ह-पदं ७६. एगे भवं? दुवे भवं? अक्खए भवं? अव्वए भवं? अवट्टिए भवं? अणेगभूय-भाव-भविए भवं? सुया! एगे वि अहं, दुवेवि अहं, अक्खए वि अहं, अव्वए वि अहं, अवट्ठिए वि अहं, अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं। से केणटेणं भंते! एगे वि अहं? दुवेवि अहं? अक्खए वि अहं? अव्वए वि अहं? अवट्ठिए वि अहं? अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं? सुया! दव्वट्ठयाए ‘एगे वि अहं', नाणदंसणट्ठयाए दुवे वि अहं, पएसट्ठयाए अक्खए वि अहं, अव्वए वि अहं, अवट्ठिए वि अहं, उवओगट्ठयाए अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं। ___ शुक! मैं एक भी हूँ, दो भी हूँ, अक्षय भी हूँ, अव्यय भी हूँ, अवस्थित भी हूँ तथा भूत, वर्तमान और भावी अनेक पर्यायों से युक्त भी हूँ। किस अर्थ से ऐसा है भन्ते! कि मैं एक भी हूँ ? दो भी हूँ? अक्षय भी हूँ? अव्यय भी हूँ? अवस्थित भी हूँ? भूत, वर्तमान और भावी अनेक पर्यायों से युक्त भी हूँ ? शुक! द्रव्य की दृष्टि से मैं एक भी हूं। ज्ञान और दर्शन की दृष्टि से मैं दो भी हूँ। प्रदेश की दृष्टि से मैं अक्षय भी हूँ, अव्यय Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003624
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages480
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size17 MB
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