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४८. पन साल श्रद्धा शुद्ध पानी, भेषधारयां ने संवत अठारे सतरोत्तरे जे भाव चरण पित ४९ जिन आज्ञा में धर्म बताई, सावध निरवद्य साठे सप्त पोहर संथारो, भिक्षू जन ५०. अठतरे वर्ष भारिमालजो, अणसण घरि उगणी आठे वर्ष परभव, रायचंद ५१. तास प्रसादे 'जय-जश' गणपति, सूत्र भगवती घणां हर्ष थी जोड़ करी ए, न्याय ५२. संवत उगणीसे वर्ष चउवोसे, पोस तिथि दशम रविवार त दिन ५३. मुनि इकबीस अज्जा नेऊ वर, च्यार जोड़ भगवती नीं संपूरण, अधिक हर्ष ५४. सतसठ संत गणी सुखदायक, इक सय सर्व दोयसौ नैं बत्तीसज, संत सत्यां ५५. ढाल पंच सय एक अनोपम, सूत्र भिक्षु भारिमाल ऋषिराम प्रसादे,
तीर्थ
प्रयुक्त स्रोत निर्देश
प्रतिबोधी ॥
अधिकाया ।
।
सूत्र
शुक्ल
बीदासर
४६०
छोड़ी। जोड़ी ।। सोधी ।
।
ऋषिराया ।।
केरी ।
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वृत्ति हेरी ॥
पक्ष सारं ।
सुखकारं ।
नां था ।
गहघाटं ॥
पैंसठ अज्जा ।
वर
लज्जा |
भगवती जोड़ |
दूहा
१. ए जोड़ भगवती
नीं रची सूत्र
वृत्ति संपेख ।
२. अन्य सिद्धांत तणां
टबो धर्मसी यंत्र फुन, अबलोकी सुविशेख | वली, न्याय मेल्या इण ठाम । अर्थ कह्या अभिराम ॥ पिण मिलतो जाण । किहां संकोची वाण ॥
'जय - जश' आनन्द कोडं ।
afe कनिज बुद्धि थकी,
३. अर्थ कियो फुन शब्द नों ते विस्तारयो किहां अल्प नों, ४. कहां बेराग्य बधायवा, उपदेश्यो अधिकाय । किहांइक चोज लगाय ने व्याख्यानादि कहाय ॥ ५. किहां कह्यो तुक मेलवा, किहां अनुमाने लेह । किहां बहुवच त्यां इकवचन संग्रह या शब्देह ॥ ६. किहांइक भांगा बुद्धि थकी, केइक यंत्र बणाय । सूत्र तणों अनुसार ले, आख्यो छे अधिकाय ॥
नियंठा
७. गमा णाणत्ता संजया, वलि सूक्ष्म चरचा में वली,
मेल्या
न्याय
८. इत्यादिक इण जोड़ में,
मिलतो
जाण ।
दाख्यो अणमिलतो जू आयो हुने, ज्ञानी व ते प्रमाण ।।
९. बलि कोडक पंडित प्रबल हूं, आगम जे विरुद्ध वचन है सूत्र थी, ते कार्ड १०. विग उपयोगे विरुद्ध वच, जे आयो हुवे अहो त्रिलोकीनाथजी, तसु म्हारै
भगवती जोड़
देख दीजो
न्हाल |
विशाल ।
उदार ।
बार ||
अजाण । नहि ताण ||
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