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________________ तत्समयाश्चतुष्पर्यवसिता एवासावपहिगयमाणापेक्षया व्योज:, अपहारसमयापेक्षया तु कृतयुग्म एवेति कृतयुग्मन्योज इत्युच्यते, तच्च जघन्यत एकोनविशतिः, तत्र हि चतुष्कापहारे त्रयोऽवशिष्यन्ते तत्समयाश्चत्वार एवेति २, एवं राशिभेदसूत्राणि तद्विवरणसूत्रेभ्योऽवसेयानि इह च सर्वत्राप्यपहारकसमयापेक्ष, माद्यं पदं अपहियमाणद्रव्यापेक्षं तु द्वितीयमिति, (वृ. ९६५,९६६) वा०-कृतयुग्मद्वापरे राशावष्टादशादयः, (वृ. प. ९६६) वा०कृतयुग्मकल्योजे सप्तदशादयः (वृ. प. ९६६) थका तीन छेहड़े हुवे। तेहनां समया च्यार शेषहीज एह अपहरता थकांनी अपेक्षाये ज्योज। अपहार समय नी अपेक्षाये तो कृतयुग्म हीज इति कृतयुग्मत्योज कहिय । तेह जघन्य थकी उगणीस । तिहां च्यार नै अपहारै तीन रहै, तेहनां समय च्यारहीज। इमहिज राशि भेद नां सूत्र तेह विवरण सूत्र थकी जाणवो। इहां सगलेई अपहार समय नी अपेक्षाये आद्य पद जाणवो । अनै अपहियमाण द्रव्य अपेक्षा तो बीजो पद इति । (२) हिवै कडजुम्म-दावरजुम्मे नों अर्थ कहै छै-- जे राशि नै समय-समय प्रति च्यार-च्यार द्रव्य अपहरतां छेहडै दोय द्रव्य हुवै ए द्वापरयुग्म । अनै अपहार समय नै पिण च्यार-च्यार अपहरतां छेहडै च्यार समय हुवै ए समय कृतयुग्म हीज इति ए कृतयुग्म-द्वापरयुग्म कहिये। ते जघन्य थकी अठारै। ते अठारै द्रव्य नै समय-समय च्यार-च्यार द्रव्य अपहरवै शेष २ हुवै । तेहनां समय च्यार हीज । इहां अपहार समया च्यार छै ते भणी समया नै कृतयुग्म कहिये । अनै राशि नां द्रव्य नै च्यार-च्यार अपहरतां छहई ने द्रव्य रह्या ते भणी ए राशि नै द्वापरयुग्म कहिये। ते माटै एहनं नाम कृतयुग्म-द्वापरयुग्म छ। (३) हिवै कडजुम्म-कलिओगे नों अर्थ कहै छै जे राशि नै समय-समय प्रति च्यार-च्यार द्रव्य अपहरतां छेहडै एक द्रव्य हुवै ए कलिओग। अनै अपहार समय नै पिण च्यार-च्यार अपहरतां छेहड़े च्यार समय हुवै ए समय कृतयुग्म हीज इति ए कृतयुग्म-कलिओग कहियै । तेह जघन्य थकी सतर। ते सतरै द्रव्य नै समय-समय च्यार-च्यार द्रव्य अपहरै छेहडै १ हुवै । तेहनां समय च्यार हीज। इहां अपहार समया च्यार छै ते भणी समया नै कृतयुग्म कहिये। अनै राशि नां द्रव्य नै च्यार-च्यार अपहरतां छेहड़े एक द्रव्य रह्यो ते भणी ए राशि नै कलियोग कहिये। ते माटै एहनुं नाम कृतयुग्म-कलिओग छ। (४) ए कडजुम्म समय पदे करी ४ रूप कह्या । हिवे तेओग समये पदे करी ४ रूप कहै छै८. तेओगकडजुम्मे कह्या, वलि तेओगतेओगे छठो रूपज जाणी हो लाल । तेओगद्वापरयुग्म ही, वलि व्योजकलियोग __कांइ रूप आठमों माणी हो लाल ।। हिवै तेओग-कडजुम्म नों अर्थ कहै छै जे राशि नै समय-समय प्रति च्यार-च्यार द्रव्य अपहरतां छेहरे च्यार द्रव्य हुवै ए राशि कडजुम्म । अनै अपहार समय नै पिण च्यार-च्यार अपहरतां छेहड़े तीन समय हुवै ए समय तेयोग हीज इति ए तेओग-कडजुम्म कहिय । तेह द्रव्य जघन्य थकी बारै । ते बारै द्रव्य नै प्रथम समय च्यार द्रव्य अपहरै, द्वितीय समय च्यार द्रव्य अपहरै, तृतीय समय च्यार द्रव्य अपहरै-ए अपहार समया तीन तेहन तेओग कहिये । अनै द्रव्य जघन्य थकी बार। तेहनै च्यार-च्यार अपहरवं छेहड़े च्यार द्रव्य रहै ते माटै द्रव्य नी राशि नै कडजुम्म कहिये। ते माट एहनुं नाम तेओग-कडजुम्म छै । (५) हिवं तेओग-तेओग नों अर्थ कहै छैजे राशि नैं समय-समय प्रति च्यार-च्यार द्रव्य अपहरतां छेहडै तीन द्रव्य ८. ५. तेओगकडजुम्मे, ६. तेओगतेओगे, ७. तेओग दावरजुम्मे, ८. तेओगकलिओगे, वा०-व्योजःकृतयुग्मे द्वादशादयः, एषां हि चतुष्कापहारे चतुरग्रत्वात्तत्समयानां च त्रित्वादिति, वा०-त्योजत्योजराशौ तु पञ्चदशादयः ३९४ भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003623
Book TitleBhagavati Jod 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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