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________________ ९६. से केणठेणं जाव समज्जिया वि? ९७. गोयमा ! जे ण नेरइया चुलसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ९८. ते णं नेरइया चुलसीतिसमज्जिया। ९९. जे ण नेरइया जहण्णेणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेणं तेसीतिपवेसणएणं पविसंति १००. ते णं नेरइया नोचुलसीतिसमज्जिया। १०१. जे ण नेरइया चुलसीतीए णं अण्णेण य जहणणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, १०२. उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति १०३. ते णं नेरइया चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया। १०४. जे णं नेरइया नेगेहि चुलसीतीएहि पवेसणएहिं पविसंति १०५. ते णं नेरइया चुलसीतीएहि समज्जिया । ९६. किण अर्ये भगवान ! चउरासी करि जान । ___ आज हो, जावत पंचम विकल्प करि कह्यो जी? ९७. जिन कहै नारक जेह, एक चउरासी एह । आज हो, करै रे प्रवेशन प्रवेशने करी जी।। ९८. कहिये नारक जेह, एक चउरासी एह । आज हो, हुवै रे सजित विकल्प धुर इसो जी।। ९९. जेह नारका चीन, जघन्य एक बे तीन । आज हो, उत्कृष्ट करै प्रवेशन त्यासीइं जी ।। १००. नारक तेह कहेह, नोचउरासीयेह । आज हो, हुवै रे सजित विकल्प दूसरै जी।। १०१. फुन नेरइया जेह, इक चउरासीयेह । आज हो, अन्य वलि जघन्य एक बे त्रिण करी जी। १०२. उत्कृष्टा अवधार, त्यासी लगै विचार॥ आज हो, करै रे प्रवेशन प्रवेशने करी जी॥ १०३. कहिये नारक तेह, इक चउरासीयेह । आज हो, वलि रे नोचउरासी लग समजिता जी। १०४. तथा नारक जेह, बहुचउरासीयेह । आज हो, करै रे प्रवेशन प्रवेशने करी जी ।। १०५. कह्या नेरइया तेह, विकल्प चोथो लेह । आज हो, धणेरे चउरासी करिकै समज्जिया जी ।। १०६. तथा नारका जेह, बहु चउरासी एह । आज हो, अन्य वलि जघन्य एक बे त्रिण करी जी ।। १०७. उत्कृष्टा अवधार, त्यासी लगै विचार । आज हो, करै रे प्रवेशन प्रवेशने करी जी ।। १०८. तेह नारका जोय, पंचम विकल्प होय । आज हो, घणेरे चउरासी नोचउरासीइंजी।। १०९. तिण अर्थे इम ख्यात, पांचं विकल्प पात । आज हो, इमहिज जावत थणियकुमार मैं जी। ११०. पृथ्वीकायिक मांहि, धुर त्रिण विकल्प नांहि । आज हो, विकल्प चरम दोय तिमहीज छै जी ।। १११. नवरं इतो विशेख, ए आलावे देख । आज हो, शब्द चउरासी संघाते अछै जी। ११२. एवं जावत जान, वनस्पती लग आन । आज हो, विकल्प चरम दोय महि नीं परै जी ।। ११३. बेइंदिया थी लेह, वैमानिक लग जेह। आज हो, विकल्प पांचूं नारक नी परै जी।। ११४. प्रश्न सिद्ध नों पेख, जिन भाखै सूविशेख । आज हो, ___ कहिये रे सिद्ध चउरासी कर समज्जिया जी ।। ११५. नोचउरासी एह, दूजो विकल्प जेह । ___ आज हो, एक चउरासी नोचउरासीई जी। १०६. जे ण नेरइया नेगेहि चुलसीतीएहि य अण्णेण य जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, १०७. उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति १०८. ते णं नेरइया चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समज्जिया। १०९. से तेणठेणं जाव समज्जिया वि । एवं जाव थणिय कुमारा। ११०. पुढविक्काइया तहेव पच्छिल्लएहिं दोहिं, १११. नवरं-अभिलाओ चुलसीतीओ। ११२. एवं जाव वणस्सइकाइया । ११३. बेंदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया। (श० २०१११८) ११४. सिद्धाणं---पुच्छा। गोयमा ! सिद्धा चुलसीतिसमज्जिया वि. ११५. नोचुलसीतिसमज्जिया वि, चुलसीतीए य नोचुल सीतीए य समज्जिया वि, ३७४ भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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