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________________ ४५ स ४६ स ४७ स ४८ स ३१२ स.मृ. ४९ स ५० स ५१ स ५२ स ५३ स ५४ स हि सर्व मृदु सर्व लुक्ख संघाते ४ चउमंगी करि १६ भांगा ४५ ५५ स ५६ स ५७ स ५८ स ५९ स ६० स ६१ स ६२ स ६३ स ६४ स (४) स.मु. १ स २ स ३ स ४ स स स स ५ स ६ स ७ स ८ स स.लु. दे.बु. स १ स स Jain Education International स स स स स स स स स स स भगवती जोड़ स स १ १ स १ ३ ४४ १ दे. ल. १ १ ४६ ४७ ४८ १ ५० १ १ १ १ १ १ ३ ३ ३ हिवं तुर्य द्विकसंयोगे ६४ भांगा कहै छँ । तिहां प्रथम सर्व गुरु सर्व शीत संघाते ४ चउमंगी करि १६ भांगा ४९ स. शी. दे.क. दे.मू. दे.नि. स १ १ १ स १ १ स ३ स ३ ३ दे.शी. १ १ ३ १ ३ १ १ १ ३ ३ १ ३ १ ३ १ दे.उ. १ ३ १ ३ १ ३ ३ १ ३ १ दे.. ३ १ स.गु. ९ स १० स ११ स १२ स १३ स १४ स १५ स १६ स स.गु. १७ स १८ स १९ स २० स २१ स २२ स २३ स २४ स २५ स २६ स २७ स २८ स २९ स ३० स ३१ स ३२ स स. ल. ५१ स.शी. दे.क. दे. मृ. दे.नि. दे.. स ३ १ १ १ ३ ३ ३३ स ३४ स ३५ स ३६ स स स For Private & Personal Use Only स स स स स हिवं सर्व गुरु सर्व उष्ण संघाते ४ चउमंगी करि १६ भांगा ५३ दे.क. दे... विदे.. १ १ १ स.उ. स स स स 석쇠석쇠 स स स स स स स स स स स ५२ ३ स ३ स स ३ ܐ १ १ १ ५४ १ १ ५५ ३ ३ ३ ३ ५६ १ १ ३ ३ १ १ १ ३ १ ३ १ १ १ ३ हिवं सर्व लघु सर्व शीत संघाते ४ चउमंगी करि १६ भांगा ५७ स. शी. दे.क. दे.मू. दे.नि. दे.लु. स १ १ १ १ १ ३ १ ३ १ १ १ १ १ १ १ १ ३ ३ १ १ ३ ३ www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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