SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 323
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ए सर्व लघु सर्व उष्ण संघाते १६ भागा में सोलमों भांगो पाठ में कह्यो, कहँ ४८३. सर्व लघु सर्व उष्ण जान, देशा निद्धा देशा लक्खा चंग, ए सर्व गुरु सर्व शीत संघाते १६ भांगा । सर्व गुरु सर्व उष्ण संघाते १६ भांगा। सर्व लघु सर्व शीत संघाते १६ भांगा । सर्व लघु सर्व उष्ण संघाते १६ भांगा । इम द्विकसंयोगे चउथा पद नां चउसठ भांगा कह्या, एवं २५६ इति तुर्य पद ४ । पंचम पद नां ६४ भांगा, तिनमें सर्व गुरु सर्व निद्ध संघाते १६ भांगा कह ए सर्व कठै छै ४८८. देशा कक्खडा देशा मउया मान । - लुक्ख ४८४. सर्व गुरु सर्व निद्ध जान, देश कर्कश देश मृदु मान । देश शीत देश उष्ण चंग, इक बहु वच करि सोल भंग ।। हि सर्व गुरु सर्व सुख संघात १६ भांगा कहे - ४८५. सर्व गुरु सर्व सुख जान, देश कर्कश देश मृदु मान । देश शीत देश उष्ण चंग, इक बहु वच करि सोले भंग ॥ हिर्व सर्व लघु सर्व निद्ध संघाते १६ भांगा कहै छै - ४८६. सर्व लघु सर्व निद्ध जान, देश शीत देश उष्ण चंग, हि सर्व सर्व सुख संघात १६ भांगा क लघु ४८७. सर्व लघु सर्व लुख जान, कहै छे देश कर्कश देश मृदु मान । देश शीत देश उण चंग, इक बहु वच करि सोल भंग ।। संघाते १६ भांगां में १६मों भांगो पाठ में कह्यो, ते लघु चौथा पद तो उसठमों भंग ।। सर्व लुक्ख । देश कर्कश देश मृदु मान । इक बहु वच करि सोलें भंग ॥ सर्व 'लघु सर्व लुक्ख जान, देशा कक्खडा देशा मउया मान । देशा सोया देशा उसिणा चंग, पंचम पदनों उसठमों भंग ।। Jain Education International गुरु सर्व लक्ख संघाते १६ ए सर्व गुरु सर्व निद्ध संघाते १६ भांगा । सर्वं भांगा । सर्व लघु सर्व निद्ध संघाते १६ भांगा । सर्व लघु सर्व लक्ख संघाते १६ भांगा । इम द्विकसंयोगे पंचमा पद नां ६४ भांगा कह्या, एवं ३२० । हिर्व छठा पद नां ६४ भांगा, तिणमें सर्व शीत सर्व निद्ध संघाने १६ भांगा कहै छ ४८९. सर्व शीत सर्व निद्ध जान, देश कर्कश देश मृदु मान । इक बहु वच करि सोल भंग ।। देश गुरु देश लघु चंग, हि सर्व शीत सर्व लुक्ख संघाते १६ भांगा कहै छ ४९०. सर्व शीत सर्व लुक्ख जान, देश गुरु देश लघु चंग, इक हि सर्व उष्ण सर्वं निद्ध संघाते ४९१. सर्व उष्ण सर्व निद्ध जान, देश गुरु देश लघु चंग देश कर्कश देश मृदु मान । बहु वच करि सोले भंग ।। १६ भांगा कहै छै - देश फर्कश देश मृदु मान । एक बहु वच करि सोलें भंग ।। ४८४-४८८. सव्वे गरुए सब्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे जाव सव्वे लहुए सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा सीया देसा उसिणा, एए चउसट्ठि भंगा, ४८९-४९३. सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए जाव सव्वे उसिणे सब्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया, एए चउसट्ठि भंगा, For Private & Personal Use Only श० २०, उ०५, ढा० ४०२ ३०५ www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy