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४६५. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसा सीया देसा उसिणा
देसा निद्धा देसा लुक्खा, एए सोलस भंगा,
४६६. सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे
निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा,
४६४. सर्व कर्कश सहु गुरु जान, देशा शीता देशा उष्णा मान ।
__ देशा निद्धा देश लुक्ख चंग, ए पनरम भंग प्रसंग ॥ ४६५. सर्व कर्कश सहु गुरु जान, देशा शीता देशा उष्णा मान ।
देशा निद्धा देशा लुक्खा लहिये, ए भंग सोलमो कहिये ।। हिवै सर्व कर्कश सर्व लघु करिकै १६ भांगा कहै, ते सोले भांगां माहिलो
प्रथम भांगो कहै छ४६६. सर्व कर्कश सह लघु जान, देश शीत देश उष्ण मान ।
देश निद्ध देश लुक्ख चंग, इम कर्कश लघु साथ सोलै भंग ।।
हिवं सर्व मृदु सर्व गुरु संघाते १६ भांगां मांहिलो प्रथम भांगो कहै छ४६७. सर्व मृदु सर्व गुरु जान, देश शीत देश उष्ण मान ।
देश निद्ध देश लुक्ख ख्यात, सौलै भांगा मृदु गुरु साथ ।।
हिवै सर्व मृदु सर्व लघु संघाते १६ भांगां माहिलो प्रथम भांगो कहै छै-- ४६८. सर्व मृदु सर्व लघु जान, देश शीत देश उष्ण मान ।
देश निद्ध देश लुक्ख ख्यात, सोले भांगा मृदु लघु साथ ।। ए सर्व मृदु सर्व लघु संघाते ए १६ भांगा कह्या, एवं ६४ थया ।
वा०-एतले सर्व कर्कश सर्व गुरु करिक १६ भांगा कह्या । सर्व कर्कश सर्व लघु करिकै १६ भांगा कह्या। सर्व मृदु सर्व गुरु करिकै १६ भांगा कह्या। वलि सर्व मृदु सर्व लघु करिकै १६ भांगा कह्या। एवं ६४ भांगा थया । इहां कर्कश १ गुरु २ शीत ३ स्निग्ध ४ लक्षण च्यार पद नां छ द्विक संयोगी हुवे, ते इम-कर्कश गुरु १ कर्कश शीत २ कर्कश स्निग्ध ३ गुरु शीत ४ गुरु स्निग्ध ५ शीत स्निग्ध ६-ए ६ द्वि कसंयोगे तेह एक-एक नैं विषे चउसठ-चउसठ भांगा हुवै ।
४६७. सव्वे मउए सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे
निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा,
४६८. सव्वे मउए सब्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे
निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा,
वा०- एए चउसटुिं भंगा, एते च सर्वकर्कशगुरुभ्यां लब्धाः , एत एव कर्कशलघुभ्यां लभ्यन्ते तदेवं द्वात्रिंशत्, इयं च सर्वकर्कशपदेन लब्धा इयमेव च सर्वमृदुना लभ्यत इति चतु:षष्टिभंगाः, इयं च चतुः षष्टिः सर्वकर्कशगुरुलक्षणेन द्विकसंयोगेन सविपर्ययेण लब्धा, तदेवमन्योऽप्येवंविधो द्विकसंयोगस्तां लभते, कर्कशगुरुशीतस्निग्धलक्षणानां च चतुर्णा पदानां षड् द्विकसंयोगास्तदेवं चतुः षष्टिः षड्भिडैिकसंयोगगुणितास्त्रीणि शतानि चतुरशीत्यधिकानि भवन्तीति (वृ० ५०७८७)
इहां प्रथम द्विकसंयोगिक ना ६४ भांगा कह्या ।
हिवै द्वितीय द्विकसंयोगे ६४ भांगा कहै छै४६९. सर्व कर्कश सह शीत जान, देश गुरु देश लघु मान ।
देश निद्ध देश लुक्ख ख्यात, सोले सर्व कर्कश शीत साथ ।। हि सर्व कर्कश सर्व उष्ण संघाते १६ भांगा हुवे, तेहनों प्रथम भांगो कहै
४६९. सव्वे कक्खडे सम्बे सीए देसे गरुए देसे लहुए देसे
निद्धे देसे लुक्खे,
४७०. सर्व कर्कश सहु उष्ण जान, देश गुरु देश लघु मान ।
देश निद्ध देश लुक्ख चंग, इक बहु वचने सोलै भंग ।।
हि सर्व मृदु सर्व शीत संघाते १६ भांगा कहै छै४७१. सर्व मृदु सर्व शीत जान, देश गुरु देश लघु मान ।
देश निद्ध देश लुक्ख चंग, इक बहु वच करि सोले भंग ।।
हिवै सर्व मृदु सर्व उष्ण संघाते १६ भांगा कह छै४७२. सर्व मृदु सर्व उष्ण जान, देश गुरु देश लघु मान ।
देश निद्ध देश लुक्ख चंग, इक बहु वच करि सोलै भंग ।।
ए सर्व मृदु सर्व उष्ण संघाते १६ भांगा कह्या तिणमें सोलमो भांगो पाठ में कहो, ते कह छै
श०२०, उ०५, ढा० ४०२ ३०३
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