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हिवै छ फर्श नां ३८४ भांगा, तिनमें प्रथम चउभंगी सर्व कर्कश सर्व गुरु अनं शीत उष्ण एक वचन करी कहे छे
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४५०. जो फर्श तिण में षट पाय, तो सर्व कर्कश सहु गुरु थाय । देश शीत देश उष्ण वक्ख, देश निद्ध अने देश लुक्ख ॥। देश शोत देश उष्ण तेह | इम जाव सोलमों ख्यात ।। देश शीत देश उष्ण मान । ए तृतीय भंग इम लहिये ॥ देश शीत देश उष्ण जोय । एतुर्य भंग कहिवाय ॥
४५१. सर्व कर्कश सहु गुरु जेह, देश निद्ध देशा लुवखा बात
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४५२. सर्व कर्कश सहु गुरु जान,
देशा निद्धा देश लुक्ख कहिये, ४५३. सर्व कर्कश सह गुरु होय, देशा निद्वा देशा लुक्खा थाय,
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हि दूजी चउभंगी सर्व कर्कश सर्व गुरु अनं शीत एक वचन अन उष्ण बहु वचन करी कहै छे
४५४. सर्व कर्कश सहु गुरु जान, देश शीत देशा उष्णा मान । देश निद्ध देश ख ताम, ए पंचम भांगो पाम ।। ४५५. सर्व कर्कश सहु गुरु जान, देश शीत देशा उष्णा मान । देश निद्ध देशा लुक्खा थाय, ए षष्टम भंग कहाय ॥ ४५६. सर्व कर्कश सह गुरु जान, देश शीत देशा उष्णा मान । देशा निया देश लुक्ख मंत, ए सप्तम भंगो त ।। ४५७. सर्व कर्कश सह गुरु जान, देश शीत देशा उष्णा मान देशा निद्धा देशा लुक्खा पाय, ए अष्टम भांगो थाय ॥
हि आठ भांगा सर्व कर्कश सर्व गुरु अने शीत बहु वचने करी कहै छे ४५८. सर्व कर्कश सह गुरु देख, देशा शीता देश उष्ण पेख । देश निद्ध देश लुक्ख भाली, भंग नवमों एह निहाली ।। ४५९. सर्व कर्कश सह गुरु सोय, देशा शीता देश उष्ण जोय ।
देश निद्ध देशा लुक्खा संच, एह भांगो दशमो विरंच ॥ ४६०. सर्व कर्कश सहु गुरु जान, देशा शीता देश उष्ण मान ।
देशा निद्धा देश लुक्ख कहिये, ए ग्यारम भांगो लहिये || ४६१. सर्व कर्कश सहु गुरु जान, देशा शीता देश उष्ण मान । देशा निढा देशा लुक्खा जोय, ए द्वादशमों भंग होय ॥ ४६२. सर्व कर्कश सहु गुरु जान, देशा शीता देशा उष्णा मान । देश निद्ध देश लुक्ख जोय, ए भांगो तेरमों होय ।। ४६३. सर्व कर्कश सह गुरु जान, देशा शीता देशा उष्णा मान । देश निद्व देशा लुक्खा देख, ए चवदमो भांगो पेख ॥
३०२ भगवती जोड़
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इस ए पंच स्पर्श नां सर्व भांगा १२८ हुवे ।
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४५०. जइ छप्फा से ? १. सब्वे कक्खडे सव्वे गरु देसे सीए देसे उसने देसे निद्धे देसे लुक्खे,
४५१. २. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, एवं जाव १६,
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