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________________ ३६४. कदा कृष्ण एक वच थाय, नील बहु वच बहु नभ पाय । लाल पील एक वचनेह, सुक्किल बहु वच बहु नभ लेह ।। ३६५. कदा कृष्ण एक वचनेह, नील बहु वच बहु नभ लेह । लाल इक वच बहु वच पील, सुक्किल इक वच इक नभ मील ।। ३६६. कदा कृष्ण एक वचनेह, नील बहु वच बहु नभ लेह । लाल इक वच इक नभ मांय, पीलो सुक्किल बहु वच थाय ।। ३६७. कदा कृष्ण एक वच देख, नील लाल बहु वच पेख । पील सुक्किल एक वच जाण, ए तेरमों भंग पिछाण ।। ३६८. कदा कृष्ण एक वचनेह, नील लाल बहु वच लेह । पीलो इक वच इक नभ मांय, सुक्किल बहु वच बहु नभ पाय ।। ३६९. कदा कृष्ण वर्ण वच एक, नील लाल पील बहु वच पेख । धवलो इक वच इक नभ मांय, ए पनरम भंग कहाय ।। ३७०. कदा कृष्ण एक वच होय, नील बहु वच बहु नभ जोय । लाल पील धवल बहु जान, ए सोलम भंग पिछान ।। कृष्ण बहु वचने करी १६ भागा कहै छ, तिणमें छहलो भांगो न संभव३७१. कदा कृष्ण बहु वच जोय, नील इक वच इक नभ होय । लाल पील धवल वच एक, ए सतरम भंग संपेख ।। ३७२. कदा कृष्ण बहु वच पेख, नील लाल पील वच एक । सुक्किल बहु वच बहु नभ थाय, ए अठारमों भंग पाय ।। ३७३. कदा कृष्ण बहु वचनेह, नील लाल एक वच जेह । पीलो बहु वच बहु नभ पाय, सुक्किल इक वच इक नभ थाय ।। ३७४. कदा कृष्ण बहु वच होय, नील लाल एक बच जोय । पीलो बहु वच बहु नभ पाय, सुक्किल बहु वच बहु नभ थाय ।। ३७५. कदा कृष्ण बहु वचनेह, नील इक वचने करि लेह । लाल बहु वच बहु नभ होय, पील सुक्किल एक वच जोय ।। ३७६. कदा कृष्ण बहु वचनेह, नील इक वचनेज कहेह । लाल बहु वच इक वच पील, सुक्किल बहु वच बहु नभ मील ।। ३७७. कदा कृष्ण बहु वचनेह, नील इक वचनेज कहेह । लाल पील बहु वच पाय, सुक्किल इक वचने कहिवाय ।। ३७८. कदा कृष्ण बहु वचनेह, नील इक वचनेज कहेह । लाल बहु वच बहु नभ थाय, पील सुक्किल बहु वच पाय ।। ३७९. कदा कृष्ण बहु वच होय, नील बहु वच बहु नभ जोय । लाल पील सुक्किल वच एक, पंचवीसमो भंग ए पेख ।। २९२ भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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