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________________ २ देसे सीए १ देसे उसिणे १ देसे निद्धे १ देसा लुक्खा ३ ३ देसे सीए १ देसे उसिणे १ देसा निद्धा ३ देसे लुक्खे १ ४ देसे सीए १ देसे उसिणे १ देसा निद्धा ३ देसा लुक्खा ३ ए शीत उष्ण एक वचन ते ४ भांगा कह्या। हिवं शीत एक वचन उष्ण बहुवचन करिक भांगा ४ कहै छ--- ५ देसे सीए १ देसा उसिणा ३ देसे निद्धे १ देसे लुक्खे १ ६ देसे सीए १ देसा उसिणा ३ देसे निद्धे १ देसा लुक्खा ३ ७ देसे सीए १ देसा उसिणा ३ देसा निद्धा ३ देसे लुक्खे १ ८ देसे सीए १ देसा उसिणा ३ देसा निद्धा ३ देसा लुक्खा ३ हिवं शीत बहुवचन उष्ण एकवचन करिक ४ भांगा कहै छै९ देसा सीया ३ देसे उसिणे १ देसे निद्धे १ देसे लुक्खे १ १० देसा सीया ३ देसे उसिणे १ देसे निद्धे १ देसा लुक्खा ३ ११ देसा सीया ३ देसे उसिणे १ देसा निद्धा ३ देसे लुक्खे १ १२ देसा सीया ३ देसे उसिणे १ देसा निद्धा ३ देसा लुक्खा ३ हिवं शीत अन उष्ण बिहुं बहुवचने करी भांगा ४ कहै छै१३ देसा सीया ३ देसा उसिणा ३ देसे निद्धे १ देसे लुक्खे १ १४ देसा सीया ३ देसा उसिणा ३ देसे निद्धे १ देसा लुक्खा ३ १५ देसा सीया ३ देसा उसिणा ३ देसा निद्धा ३ देसे लक्खे १ १६ देसा सीया ३ देसा उसिणा ३ देसा निद्धा ३ देसा लुक्खा ३ इम च्यारप्रदेशिक खंध नै विषे २२२ भांगा कह्या । पंचप्रदेशिक स्कन्ध में वर्णादि भंग १८७. *खंध पंचप्रदेशिक जान, तिणमें वर्ण किता भगवान ? जिम शतक अठारमा मांय, जाव च्यार फर्श कदा पाय ।। १८८. जो एक वर्ण होवै संच, इम एक वर्ण नां पंच । दोय वर्ण नां चालीस भंग, चिहुं प्रदेशिक जिम चंग ।। त्रिकयोगिक ७० भांगा--- १८९. जो तीन वर्ण तिणमें होय, कदा कृष्ण नील लाल जोय । त्रिहुं इक वचने कहिवाय, बहुश्रुत मेलै तसु न्याय ।। वा०-एक प्रदेश कृष्ण वर्ण, ते एक आकाश में रह्यो । एक प्रदेश नील वर्ण ते दूजा आकाश प्रदेश में रह्यो। तीन प्रदेश लाल ते तीजा आकाश प्रदेश में रह्या, इम तीनूं एक वचन हुदै । तथा एक कृष्ण एक आकाश प्रदेश में रह्यो, दोय नील ते दूजा आकाश प्रदेश में रह्या, दोय लाल ते तीजा आकाश प्रदेश में रहा। ' तथा दोय कृष्ण ते एक आकाश प्रदेश में रह्या, एक नील ते दूजा आकाश प्रदेश में रह्यो, दोय लाल ते तीजा आकाश प्रदेश में रह्या । तथा एक कृष्ण ते एक आकाश प्रदेश में रह्यो, तीन नील ते दूजा आकाश प्रदेश में रह्या, एक लाल ते तीजा आकाश प्रदेश में रह्यो । तथा दोय कृष्ण ते एक आकाश प्रदेश में रह्या, दोय नील ते दूजा आकाश प्रदेश में रह्या, एक लाल ते तीजा आकाश प्रदेश में रह्यो । *लय : म्हारी सासू रो नाम छ फूली १८७. पंचपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे? जहा अट्ठारसमसए (१८।११५) जाव सिय 'चउफासे पण्णत्ते। १८८. जइ एगवण्णे ? एगवण्ण-दुवण्णा जहेव चउप्पए सिए। य नीलए य १८९. जइ तिवण्णे ? १. सिय कालए लोहियए या श०२०, उ०५, ढा०४०२ २७५ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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