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हिवं शीत एक वचन, उष्ण बहु वचन करिक ४ भांगा कहै छ----
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हिवं शीत बह वचन, उष्ण एक वचन करिक ४ भांगा कहै छ....
हिवं शीत अन उष्ण बिहुं बहु वचने करि ४ भांगा कहै छ
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१५. सब्वे एते फासेसु छत्तीस भंगा। (० २०१२९)
'छत्तीसं भंग' ति दित्रिचतुःस्पर्श चतुःपोडशपोडशानां भवादिति
(व०प० ७८४)
१८४. *ए च्यारूं फर्श नां भंग, कह्या प्रत्यक्ष सोल सूचंग ।
कह्यो आधार न्याय उदार, वलि बहुश्रुत कहै ते सार ।। १८५. दोय फर्श तणां भंग च्यार, तीन फर्श नां षोडश धार ।
च्यार फर्श नां सोल जगीस, इम फर्श नां भंग छतीस ।। १८६. वर्ण रस नां नेऊ-नेऊ जाण, वलि गंध नांज छह पिछाण ।
फून फर्श नां भांगा छतोस, चिहं प्रदेशे बे सौ बावीस ।।
च्यारप्रदेशिक खंध नै विषे २२२ भांगा नों यन्त्र-- ९० च्यार प्रदेशिक खंध नै विषे वर्णनां ९० भांगा५ एकसंयोगे पूठली परै ५ भांगा हुदै ४० द्विकसंयोगे ४० भांगा कहै छ
१ कालए १ नीलए १ *लय : म्हारी सासू रो नाम छ फूली
२७२ भगवती जोड़
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