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________________ ९३. जाव सिय चउफासे पण्णत्ते। जइ एगवणे ? सिय कालए य जाव सुक्किलए । २६. जइ दुवष्णे? १. सिय कालए य नीलए य, ९८. २. सिय कालए य नीलगाय, ९०. ३. सिय कालगा य नीलए य, ९३. जाव कदाचित चिहुं फास, पाठ कहि इहां लग तास । जो एक वर्ण कहिवाय, तो कदा कृष्ण जाव शुक्ल थाय ।। सोरठा ९४. कदा कृष्ण चिहुं होय, कदाचित चिहं नील वर्ण । कदा लाल चिहुं जोय, कदाचित चिहं पील वर्ण ।। ९५. कदा धवल ह च्यार, चउप्रदेशिक खंध नां । इकयोगे अवधार, भंग पंच इणविध हुवै ।। द्विकयोगिक ४० भांगा९६. *जो दोय वर्ण तिणमें होय, तो कदा कृष्ण नील अवलोय । बिहं इक वचने करि थाय, हिवै कहियै छै तसु न्याय ।। सोरठा ९७. कृष्ण वर्ण नां ताहि, बे प्रदेश ते पिण रह्या । इक नभ प्रदेश मांहि, इम बे प्रदेश नील नां ।। ९८. "तो कदा कृष्ण एक वच जाण, नील बहु वचने करि माण । इक नभ प्रदेश में काल, नील दोय प्रदेश में न्हाल ।। ९९. कदा बहु वच कृष्ण कहाय, नील इक वचने करि थाय । कृष्ण बहु नभ प्रदेश मांय, नील एक प्रदेश में पाय ॥ १००. कदा कालगा नीलगा जोय, कृष्ण वर्ण नां प्रदेश दोय । रह्या दोय प्रदेशे विशेष, इम नील नां दोय प्रदेश ।। १०१. कदा कृष्ण लाल बच एक, इहां पिण भंग च्यार विशेख । कह्या कृष्ण नील नां जेह, इम कृष्ण लाल नां कहेह ।। १०२. कदा कृष्ण पील वर्ण होय, ते पिण चिहुं भंगा अवलोय । कदा कृष्ण शुक्ल वर्ण धार, ते पिण भणवा भंगा च्यार ।। १०३. कदा नोल लाल पिण थाय, ते पिण चिहं भंगा कहिवाय । कदा नील पील पिण जाण, तेहनां भंग च्यार पिछाण ।। १०४. कदा नील शुक्ल अवधार, भंग इक वच बह वच च्यार। कदा लाल पील अवलोय, तेहनां पिण चिहं भंगा होय ।। १०५. कदा लाल शुक्ल परिणाम, तसु भांगा च्यारज पाम। कदा पील शुक्ल कहिवाय, तसू भांगा च्यारज पाय ।। १०६. कह्या दश द्विकसंयोग एह, इक-इक संयोग विषेह । भंग च्यार-च्यार ह जगीस, दश चउगुणां कियां चालीस ।। त्रिकयोगिक ४० भांगा१०७. जो तीन वर्ण तिण में होय, तो कदा कृष्ण नील लाल जोय । तीन इक वचनेज कहाय, रह्या तीन प्रदेश रै मांय ।। १००. ४, सिय कालगा य नीलगाय, १०१. सिय कालए य लोहियए य एत्थ वि चत्तारि भंगा, १०२. सिय कालए य हालिद्दए य ४, सिय कालए य सुक्किलए य ४, १०३. सिय नीलए य लोहियए य ४, सिय नीलए य हालिद्दए य ४, १०४. सिय नीलए य सुक्किलए य ४, सिय लोहियए य हालिद्दए य ४, १०५. सिय लोहियए य सुक्किलए य ४, सिय हालिद्दए य सुक्किलए य ४. १०६. एवं एए दस दुयसंजोगा भंगा पुण चत्तालीसं । १०.. जइ तिवण्णे ? १. मिय कालए य नीलए य लोहियए *लय : म्हारी सासू रो नाम छ फली श०२०, उ० ५, ढा० ४०२ २६५ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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