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________________ सोरठा १९. ए दि र मांहि, अल्पक्रिया अल्पवेदना | महानिर्जरा नांहि तिणसूं सप्तम भंग नहीं । गीतक छंद ! २०. नारका महाजालवा, प्रभु अल्पकिरियावंत ही । अल्पवेदना अल्पनिर्जरा ? जिन कहै अर्थ समर्थ नहीं । २१. ए चिरं पद मध्य बेपद सोरठा मांहि, धुर विण त्रिहुं पद अल्प है । त्यां नांहि, तिणसूं अष्टम भंग नहीं ॥ गीतक छंद २२. नारका अल्पबाधवा, प्रभु! महाकिरियावंत ही महावेदना महानिर्जरा ? जिन कहै अर्थ समर्थ नहीं || सोरठा २३. ए चिउं पद रै मांहि, अल्पआश्रवा आखिया । ते नारक में नांहि, तिणसूं नवमूं भंग नहीं || गीतक छंद २४. नारका अल्पनाश्रया, प्रभु! महाकिरियावंत ही । महावेदना अल्पनिर्जरा ? जिन कहै अर्थ समर्थ नहीं ॥ सोरठा २५. ए चिरं पद र मोहि अल्पभाधव कह्यो अछे । ए नारक में नांहि, तिणसूं दशमों भंग नहीं || गीतक छंद २६. नारका अल्पआधवा, प्रभु महाकिरियावंत ही । ! अल्पवेदना महानिर्जरा ? जिन कहे अर्थ समर्थ नहीं || सोरठा तृतीय अल्प इतर महा । तिणसूं भंग न ग्यारमों ॥ गीतक छंद २८. नारका अल्पआथवा, प्रभु ! महाकिरियावंत ही । अल्पवेदना अल्पनिर्जरा ? जिन कहै अर्थ समर्थ नहीं । सोरठा २७. ए चिउं पद मांहि, प्रथम द्वितीय विना त्रिहुं नांहि, २९. ए चिपद मोहि, द्वितीय पदे महा अल्प विहं प्रथम तृतीय त्यां नांहि, तिणसूं भंग बारमों ॥ न २२४ भगवती जोड़ Jain Education International २०. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्प किरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे । ( श० १९/४५ ) २२. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? ( ० १९०४६) नो इट्ठे सम । २४. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा अप्पनिज्जरा ? (श० १९०४७) नो इडे समड़े। २६. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेषणा महानिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे । (श० १९/४०) २८. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ? नो इमट्ठे समट्ठे । (१० १९/४९) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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