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________________ ८. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया महा वेयणा अप्पनिज्जरा? हंता सिया। (श० १९।३९) गीतक छंद ८. ह नारका महाआश्रवा, प्रभु महाकिरियावंत ही। महावेदना अल्पनिर्जरा? जिन कहै हंता ह सही ।। सोरठा ९. ए चिउं पद रै मांय, धूर त्रिहं पद मोटा कह्या । अल्पनिर्जरा थाय, तिणसू हंता जिन कह्यो। गीतक छंद १०. ह नारका महाआश्रवा, प्रभु ! महाकिरियावंत ही। अल्पवेदना महानिर्जरा? जिन कहै अर्थ समर्थ नहीं। सोरठा ११. ए चिउं पद रै मांहि, अल्पवेदना महानिर्जरा । ते नारक में नाहि, तिणसू तीजो भंग नहीं । गीतक छंद १२. ह नारका महाआश्रवा, प्रभु ! महाकिरियावंत ही। अल्पवेदना अल्पनिर्जरा? जिन कहै अर्थ समर्थ नहीं ।। १०. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पबेयणा महानिज्जरा? गोयमा ! नो इणढे समठे। (श० १९।४०) १२. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया अप्यवेयणा अप्पनिज्जरा? गोयमा ! नो इणठे समझें। (श० १९।४१) १४. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा? गोयमा ! नो इणठे समठे। (श० १९।४२) ___ सोरठा १३. ए चिउं पद रै मांहि, अल्पवेदन अल्पनिर्जरा। ते अल्पवेदना नाहि, तुर्य भंग नहिं ते भणी ।। गीतक छंद १४. ह नारका महाआश्रवा, प्रभु! अल्पकिरियावंत ही। महावेदना महानिर्जरा? जिन कहै अर्थ समर्थ नहीं ।। सोरठा १५. ए चिउं पद रै मांहि, क्रियाअल्प महानिर्जरा। ते नारक में नाहि, तिणसुं पंचम भंग नहीं ।। गीतक छंद १६. ह नारका महाआश्रवा, प्रभु ! अल्पकिरियावंत ही। महावेदना अल्पनिर्जरा? जिन कहै अर्थ समर्थ नहीं । सोरठा १७. ए चिउं पद रै मांहि, अल्पक्रिया अल्पनिर्जरा। अल्प क्रिया त्यां नाहि, तिणसू छट्ठो भंग नहीं । गीतक छंद १८. ह नारका महाआश्रवा, प्रभु अल्पकिरियावंत ही। अल्पवेदना महानिर्जरा? जिन कहै अर्थ समर्थ नहीं ।। १६. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा अप्पनिज्जरा ? गोयमा ! नो इणठे समठे। (श० १९।४३) १८. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा? नो इणठे समठे। (श० १९१४४) श० १९, उ० ४, ढा० ३९४ २२३ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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