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________________ १२०. तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुझे १२१. समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी (श०१८।१७३) १२०. गोतम जी तिणवारो जी, वीर वचन सुण सारो जी। हरख्या हिया मझारो जी, पाया संतोष अपारो जी ।। १२१. वीर प्रभु प्रति वंदी जी, नमस्कार आनंदी जी। छद्मस्थ अतिसय मंदी जी, हिव तसु प्रश्न कथिदी जी ।। १२२. देश इकसौ अठ्यासी नुं न्हालो जी, त्रिण सय बयासीमी ढालो जी। भिक्षु भारीमाल ऋषिरायो जी, 'जय-जश' हरष सवायो जी ।। ढाल : ३८३ दहा १. प्राक् छद्मस्था एवं व्याकर्तुं न प्रभव इत्युक्तम्, (वृ० प०७५५) २. अथ छद्मस्थमेवाश्रित्य प्रश्नयन्नाह-(व०प०७५५) ३. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं कि जाणति-पासति ? उदाह न जाणति न पासति ? १. पूर्व प्रभुजी इम कह्यो, गोतम तै कहिवाय । तेम अनेरा छद्ममस्थ जे, कहिवा समर्थ नांय ।। २. अथ छद्ममस्थज आश्रयी, प्रश्न करता पेख । पूछ गोयम गणहरू, वारू रीत विशेख ।। *जिन वच महा जयकारिया ॥(ध्र पदं) ३. हे प्रभु ! छद्मस्थ मनुष्य जे, परमाणु हो पुद्गल प्रति ताहि के। स्यूं जाण देखै अछ, वलि अथवा हो जाण देखै नांहि के ? ४. जिन भाखै सुण गोयमा ! कोइ जाण हो सुणवै करि सोय के। पिण देखै नहिं तेहने, __ मतिश्रुत नों हो दर्शण नहीं कोय के ।। ५. कोइक छद्मस्थ छै तिको, __नहि जाणे हो नहिं देखै जेह के। इहां वृत्तिकार इम आखियो, तिको कहिये हो आगल वच तेह के ।। ४. गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति न पासति, ५. अत्थेगतिए न जाणति न पासति । (श० १८१७४) ६. इह छद्मस्थो निरतिशयो ग्राह्यः (व० ५० ७५५) सोरठा ६. इहां छद्मस्थ कहाय, ते ग्रहिवो अतिशय रहित । प्रथम भंग नुं न्याय, कहियै छै ते सांभलो ।। ७. श्रुत उपयोगजवंत, श्रुतज्ञानी जाणे तसु । पिण ते नहिं पेखंत, तास न्याय आगल कहूं ।। ८. वर श्रुत ज्ञान तणेह, दर्शण तणां अभाव थी। परमाणु प्रति जेह, देखें नहि इहविध कह्यो ।। *लय : नींदड़ली हो बेरण ७. 'जाणइ न पासइ' त्ति श्रुतोपयुक्तः श्रुतज्ञानी, (वृ० १०७५५) ८. श्रुते दर्शनाभावात्, (वृ० ५० ७५५) श. १८, उ०८, ढाल ३८२,३८३ १८१ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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