________________
३५. गोयमा ! सिय गवण्णे, सिय दुवण्णे,
वा.---'दुपएसिए ण' मित्यादि, "सिय एगवन्ने' त्ति द्वयो
रपि प्रदेशयोरेकवर्णत्वात्, इह च पञ्च विकल्पाः,
'सिय दुवन्ने' त्ति प्रतिप्रदेशं वर्णान्तरभावात्, इह च दश विकल्पाः ,
(वृ० प० ७४८,७४९)
३६. सिय एगगंधे, सिय दुगंधे ।
वा०—एवं गन्धादिष्वपि ।
(वृ० प० ७४९)
३७. सिय एगरसे सिय दुरसे ।
३५. जिन भाखै सुण सीस! रे, एक वर्ण कदा।
कदाचित वर्ण बे लह्या ए।। वा०-द्विप्रदेशिक खंध नै विषे एक वर्ण कालो हुदै १ तथा एक वर्ण नीलो हुवे २ तथा एक वर्ण रातो हुवै ३ तथा एक वर्ण पीलो हुदै ४ तथा एक वर्ण धवलो हुवै ५ । इम एक वर्ण नां ५ विकल्प हुदै ।
अनं द्विप्रदेशिक खंध नै विषे कदा बे वर्ण हवे तो तेहना दश विकल्प---- एक प्रदेश कृष्ण वर्ण, एक प्रदेश नील वर्ण १, एक प्रदेश कृष्ण वर्ण, एक प्रदेश लाल वर्ण २, एक प्रदेश कृष्ण, एक प्रदेश पीलो ३, एक प्रदेश कृष्ण, एक प्रदेश धवलो ४, एक प्रदेश नीलो, एक प्रदेश लाल ५, एक प्रदेश नीलो, एक प्रदेश पीलो ६, एक प्रदेश नीलो, एक प्रदेश धवलो ७, एक प्रदेश लाल, एक प्रदेश पीलो ८, एक प्रदेश लाल, एक प्रदेश धवलो ९, एक प्रदेश पीलो, एक प्रदेश धवलो १० । एवं द्विप्रदेशी खंध नै विषे पनर विकल्प हुवै। ३६. कदा गंध ह एक रे, कदाचित वली ।
दोय गंध पिण दाखिय ए ।। वा० द्विप्रदेशिक खंध में जो एक गंध हुवे तो तेहनां बे भांगा, ते बेहुं प्रदेश दुर्गंध ह्र १ तथा बेहुं प्रदेश सुगंध ह्र २ । जो दोय गंध हुवै तो तेहनों एक भांगो; एक प्रदेश दुगंध नै एक प्रदेश सुगंध । ३७. कदाचित रस एक रे, कदाचित वलि ।
तास दोय रस भाखियै ए॥ वा--द्विप्रदेशिक खंध में जो एक रस हुवै तो तेहनां पंच विकल्प-बिहुँ प्रदेश तिक्त रस हुदै १ तथा बिहुँ कटुक रस २, तथा बिहु कषायला ३ तथा बेहुं खाटा ४ तथा बेहुं मीठा ५ ।
हिवं द्विप्रदेशिक खंध में, बे रस हुवै तो तेहनां दश विकल्प -एक प्रदेश तिक्त, एक प्रदेश कटुक १, एक प्रदेश तिक्त, एक प्रदेश कषायलो २, एक प्रदेश तिक्त, एक प्रदेश खाटो ३, एक प्रदेश तिक्त, एक प्रदेश मधुर ४, एक प्रदेश कटुक, एक प्रदेश कषायलो ५, एक प्रदेश कटक, एक प्रदेश खाटो ६, एक प्रदेश कटक, एक प्रदेश मधुर ७, एक प्रदेश कषायलो, एक प्रदेश खाटो ८, एक प्रदेश कषायलो, एक प्रदेश मधुर ९, एक प्रदेश खाटो, एक प्रदेश मधुर १० । ३८. फर्श कदाचित दोय रे, स्पर्श त्रिण कदा।
कदाचित चिउं फर्श छै ए।। वा०-द्विप्रदेशिक खंध नै विषे जो बे फर्श हुवै तो तेहना च्यार विकल्प हुवं--शीत स्निग्ध नों १, शीत रुक्ख नों २, उष्ण स्निग्ध नों ३, उष्ण रुक्ख नों ४। ____ एवं कदाचित तीन फर्श हुवै तो तेहनां च्यार विकल्प-बेहुं प्रदेश में एक स्निग्ध, एक रूक्ष ते बेहुं शीत १ तथा एक स्निग्ध, एक रूक्ष ते बिहुं उष्ण २ तथा एक शीत, एक उष्ण ते बिहुँ स्निग्ध ३ तथा एक शीत, एक उष्ण ते बिहुं लुक्ख ४। .
३८. सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते ।
(श०१८।११२) वा०–'सिय दुफासे' त्ति प्रदेशद्वयस्यापि शीतस्निग्धत्वादिभावात्, इहापि त एव चत्वारो विकल्पाः,
'सिय तिफासे' त्ति इह चत्वारो विकल्पास्तत्र प्रदेशद्वयस्यापि शीतभावात्, एकस्य च तत्र स्निग्धभावात् द्वितीयस्य च रूक्षभावादेकः, 'एवम्' अनेनैव न्यायेन प्रदेशद्वयस्योष्णभावाद्वितीयः, तथा प्रदेशद्वयस्यापि स्निग्धभावात् तत्र चैकस्य शीतभावादेकस्य चोष्णभावात्तृतीयः, 'एवम्' अनेनैव न्यायेन प्रदेशद्वयस्य रूक्षभावाच्चतुर्थ इति ।
१५८ भगवती जोड़
Jain Education Intemational
ucation international
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org