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७७. भिक्ष भारीमाल ऋषिराया, लाल सुगुणजी!
'जय-जश' सुख हरष सवाया जी ।। द्वादशशते षष्ठोद्देशकार्थः ॥१२॥६॥
ढाल : २६५
१. अनन्तरोद्देशके चन्द्रादीनामतिशयसोख्यमुक्तम् ।
(वृप. ५७९) २,३. ते च लोकस्यांशे भवन्तीति लोकांशे जीवस्य जन्ममरणवक्तव्यताप्ररूपणार्थः सप्तमोद्देशक उच्यते ।
(वृ. प. ५७९)
४. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव एवं वयासी
दूहा १. छठे उदेशे अंत में, चंद्रादिक नां जाण । __ अतिशय करिनै सुख कह्या, वारू अधिक बखाण ॥ २. चंद्रादिक तो लोक नां, अंश विषे अवलोय ।
लोक अंश में जोव नों, जनम मरण पिण होय ।। ३. ते जनम मरण री वारता, जीव तणी पहिछाण ।
सप्तमुद्देशक नै विषे, कहियै तेह विनाण ॥ ४. तिण काले नै तिण समय, यावत गोतम स्वाम। वीर प्रभु नै इम कहै, कर जोड़ी शिर नाम। जीवों का जन्म-मृत्यु पद
*वीर प्रभु वागरै इम जीव भम्यो भव मांहि ।। (ध्रुपदं) ५. प्रभ! लोक मोटो कह्यो केतलो जो? तब भाखै भगवान । ___ महामोटो लोक परूपियो जी, बहु वस्तू नों स्थान ॥ ६. जे पूरव दिशि मैं विष जी, असंख्याता कोडाकोड़।
जोजन लग ए लोक छै जी, इमहिज दक्षिण जोड़ ।। ७. इमहिज पश्चिम दिशि विषे जी, उत्तर दिशि पिण एम।
इमहिज ऊंची दिशि विषे जी, कहिवो पूरव जेम ।। ८. इम नीची दिशि नैं विष जी, असंख्याता कोडाकोड़।
जोजन लांबपणे अछै जी, चोड़पणे पिण जोड़।। ६. एवड़ा महामोटा लोक में जी, परमाणु परिमित पिण प्रदेश
एहवो छै, जिहां ए जीवड़ो जी, भव भमतो सूविशेष ।। १०. जनम मूल पाम्यो नहीं जी, अथवा मूओ पिण नाय ?
कृपा करो मुझ ऊपरे जी, उत्तर द्यो जिनराय ! ११. जिन भाखै सुण गोयमाजी! अर्थ समर्थ नहिं एह।
किण अर्थे प्रभु ! इम कह्यो जी? हिव जिन उत्तर देह ।।
५. के महालए णं भंते ! लोए पण्णत्ते?
गोयमा ! महतिमहालए लोए पण्णत्ते६. पुरत्थिमेणं असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ,
दाहिणणं असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ। ७. एवं पच्चत्थिमेण वि, एवं उत्तरेण वि, एवं उड्डे
पि। ८. अहे असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ आयामविक्खंभेणं ।
(श. १२११३०) ९,१०. एयंसि णं भंते ! एमहालगंसि लोगंसि अत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा, न मए वा वि?
१२. प्रभु दृष्टांत देई कहै जी, कोई पुरुष सुविशेख ।
सय अजा अर्थे करै जी, मोटो बाड़ो एक ॥
११. गोयमा ! णो इणठे समठे ।
(श. १२।१३१) से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ१२. गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे अया-सयस्स एगं
महं अया-वयं करेज्जा। 'अयावयं' ति अजावजम् अजावाटकमित्यर्थः ।
(व. प. ५८०)
*लय : जम्बू कह्यो मान ले रे जाया !
श०१२, उ०७, ढा० २६५ ७९
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