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________________ संख्यातप्रदेशिकस्य द्विधाभेदे ११, विधाभेदे २१, चतुर्धाभेदे ३१, पंचधाभेदे ४१, षोढात्वे ५१, सप्तधात्वे ६१, अष्टधात्वे ७१, नवधात्वे ८१, दशधात्वे ९१, संख्यातभेदत्वे त्वेक एव विकल्पः । (वृ० ५० ५६६) संख्यात प्रदेशिया नी स्थापना, द्विधा- ११ विधा- २१ चतुर्धा- ३१ पंचधा- ४१ षड्ढा- ५१ सप्तधा- ६१ अष्टधा- ७१ नवधा- ८१ दशधा- ६१ संख्यातधा-१ एवं सर्व- ४६० असंख्यात प्रदेशिया खंध नां भांगा ५१७४८. हे प्रभ! असंख परमाणआ, मिलियां थकां स्यू होय हो? प्रभुजी! असंख्यात प्रदेशिक खंध है, ए जिन उत्तर जोय हो, गोतम ! ४८. असंखेज्जा णं भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति. साहण्णित्ता किं भवइ ? गोयमा! असंखेज्जपएसिए खंधे भव। ४९. से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि, संखेज्जहा वि, असंखेज्जहा वि कज्जइ ४६. ते खंध भेदीजतां छतां, बिहं भागे हुवै सोय हो, गोतम! यावत दश भागे हवै संख्यात, असंख्यात जोय हो, गोतम ! दो भाग स्यूं १२ विकल्प५०. बिहं भागे करतां थकां, परमाणु इक पास हो, गोतम ! इक पास असंख प्रदेशियो खंध हवै छै तास हो, गोतम ! ५१. इम यावत एक पासे तथा, दश प्रदेशिक खंध होय हो, गोतम! इक पास असंख प्रदेशियो खंध हुवे छ सोय हो, गोतम ! ५२. अथवा एक पासे तस्, संख्यात प्रदेशियो खंध हो, गोतम ! इक पास असंख प्रदेशियो खंध हवै छै संध हो, गोतम! ५३. अथवा असंख प्रदेशिया खंध होवे तस दोय हो, गोतम! दोय भागे हुवै तेहनां, द्वादश भांगा होय हो, गोतम ! तीन भाग स्यूं २३ विकल्प५४. तीन भागे करतां थका, इक पास परमाणु दोय हो, गोतम ! इक पास असंख प्रदेशियो खंध हुवै छै सोय हो, गोतम ! ५५. अथवा इक पास परमाणुआ, द्विप्रदेशिक इक पास हो, गोतम ! इक पास असंख प्रदेशियो खंध हवै छै तास हो, गोतम! ५६. इम यावत एक पासे तथा, परमाण पुदगल तास हो, गोतम ! एक पास दश प्रदेशियो, असंख प्रदेशिक इक पास हो, गोतम ! ५०. दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणपोग्गले, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ । ५१. जाव अहवा एगयओ दसपएसिए खधे भवइ, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ । ५२. अहवा एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे. एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। ५३. अहवा दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवति । ५४. तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ । ५५. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। ५६. जाव अहवा एगयओ परमाणपोग्गले. या दसपएसिए खंधे, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ । ५७. अहवा एगयओ परमाणपोग्गले. एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ । ५८. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो असंखेज्ज पएसिया खंधा भवंति । ५०. अथवा इक पास परमाणओ, संख प्रदेशिक पास हो, गोतम! इक पास असंख प्रदेशियो खंध हुवै छै तास हो, गोतम ! ५८. अथवा इक पास परमाणओ, एक पासे अवलोय हो, गोतम ! असंख्यात प्रदेशिया खंध हुवै छै दोय हो, गातम ! श० १२, उ०४, ढा०२५५ ३५ Jain Education Intemational cation Intemational For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003620
Book TitleBhagavati Jod 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages460
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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