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________________ छह प्रदेशिया नी स्थापना २।२।२ २१४ १११३ | १११०२२ १।२४ | १।१।११।२ | १।२।३ |१।१।१।१।१।१ सप्त प्रदेशिया खंध नां १४ भांगा ४३. सप्त परमाणु प्रभु ! एकठा, मिलियां थकां स्यू होय जी? जिन कहै सप्त प्रदेशियो खंध होवै अछ सोय जी। ४३. सत्त भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति साहण्णित्ता किं भवइ? गोयमा ! सत्तपएसिए खंधे भवइ। ४४. से भिज्जेमाणे दुहा वि जाव सत्तहा वि कज्जइ ४५. दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ। ४६. अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ। ४७. अहवा एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ । ४४. ते खंध भेदीजतो छतो, दोय भागे पिण होय जी। त्रिण चिउं पंच षट भाग पिण, सप्त भागे पिण जोय जी ।। दो भाग स्यूं ३ विकल्प-- ४५. बिहं भागे करतां थकां, परमाणु हवै इक पास जी। एक पासे छह प्रदेशियो खंव हौवै अछै तास जी। ४६. अथवा जे एक पासे तस्, द्विप्रदेशिक खध होय जी। इक पासे पंच प्रदेशियो खंध होवै तस् सोय जी ।। ४७. अथवा जे एक पासे तस्, त्रिप्रदेशिक खंध थाय जी। इक पासे च्यार प्रदेशियो खंध होवै तसु ताय जी ।। तीन भाग स्यूं ४ विकल्प४८. तीन भागे करतां थकां, इक पास परमाणआ दोय जी। इक पासे पंच प्रदेशियो खंध होवै तम सोय जी ।। ४६. अथवा इक पास परमाणुओ, द्विप्रदेशिक इक पास जी। इक पासे च्यार प्रदेशियो खंध होवै अछै तास जी ।। ५०. अथवा वलि एक पासे तसु, परमाणु पुद्गल होय जी। एक पासे त्रिप्रदेशिया खंध होवै तसु दोय जी।। ५१. अथवा वलि एक पासे हुवे, द्विप्रदेशिक खंध दोय जी। इक पासे तीन प्रदेशियो खंध होवै अछ सोय जी ।। च्यार भाग स्यूं ३ विकल्प५२. च्यारे भागे करतां थकां, इक पास परमाणुआ तीन जी। इक पासे च्यार प्रदेशियो खंध होवै अछै चीन जी ।। ५३. अथवा इक पास परमाणु बे हवै, द्विप्रदेशिक इक पास जी। इक पासे तीन प्रदेशियो खंध होवै अछै तास जी । ५४. अथवा वलि एक पासे हुवै, परमाणु पुद्गल एक जी। इक पासे दोय प्रदेशिया खंध त्रिण होय विशेख जी॥ ४८. तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ । ४९. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए ___ खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ। ५०. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति ।। ५१. अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ । ५२. च उहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणपोग्गला, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ। ५३. अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ । ५४. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति । श० १२, उ०४, ढा० २५४ २३ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003620
Book TitleBhagavati Jod 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages460
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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