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________________ पंच प्रदेशिया नी स्थापना २।३ १।१।३ ।१।२।२ |१११११२ ६ | १।१।१।११ छह प्रदेशिया खंध नां १० भांगा ३१. षट परमाणु प्रभु ! एकठा, मिलियां थकां स्यं होय जी ? जिन कहै सांभल गोयमा! षट प्रदेशिक खंध जोय जी। ३१. छब्भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, साहण्णित्ता किं भवइ ? गोयमा ! छप्पएसिए खंधे भवइ । ३२. से भिज्जमाणे दुहा दि तिहा वि जाव छबिहा वि कज्जइ। ३३. दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ । ३४. अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ । ३५. अहवा दो तिपएसिया खंधा भवंति । ३२. ते खंध भेदीजतो थको, दोय भागे पिण होय जी। त्रिण चिउं पंच षट भाग ह, हिव तसु न्याय अवलोय जी। दो भाग स्यूं ३ विकल्प३३. दोय भागे करतां थकां, इक परमाणु इक पास जी। इक पासे पंच प्रदेशियो खंध होवै अछ तास जी ।। ३४. अथवा जे एक पासे तसु, द्विप्रदेशिक खंध होय जी। इक पासे च्यार प्रदेशियो खंध होवै तसु सोय जी ।। ३५. अथवा जे तीन प्रदेशिया खंध होवै तसु दोय जी। दोय भागे करतां थकां, तीन भांगा इम होय जी।। तीन भाग स्यूं ३ विकल्प३६. तीन भागे करतां छतां, परमाणु दोय इक पास जी। इक पासे च्यार प्रदेशियो खंध होवै अछ तास जी। ३७. अथवा इक पास परमाणु ह, द्विप्रदेशिक इक पास जी। इक पासे तीन प्रदेशियो खंध होवै अछ तास जी ।। ३८. अथवा जे दोय प्रदेशिया खंध होवै तसु तीन जी। तीन भागे करतां थकां, ए त्रिहुं भंग सुचीन जी ।। च्यार भाग स्यूं २ विकल्प३६. च्यार भागे करता थकां, तीन परमाणु इक पास जी। इक पासे तीन प्रदेशियो खंध होवै अछै तास जी ।। ४०. अथवा जे एक पासे तसु, दोय परमाणुआ होय जी। इक पासे दोय प्रदेशिया खंध होवै तसु दोय जी। ४१. पंच भागे करतां थकां, परमाणु च्यार इक पास जी। इक पासे दोय प्रदेशियो खंध होवै अछै तास जी ।। ४२. छए भागे करतां थका, षट परमाणुओ होय जी। षट प्रदेशिक खंध नां, ए दश भंग अवलोय जी ।। ३६. तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ । ३७. अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ । ३८. अहवा तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति । ३९. चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ । ४०. अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिए खंधा भवंति। ४१. पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ । ४२. छहा कज्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति । (श० १२१७३) २२ भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003620
Book TitleBhagavati Jod 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages460
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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