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________________ ढाल: १७८ दूहा १.पंच नेरइया हे प्रभ ! नरक-प्रवेशन काल । रत्नप्रभा में स्यं हवै जाव सप्तमी न्हाल? २. जिन भाखै सुण गंगेया ! रत्नप्रभा उत्पात । जावत अथवा सप्तमी, इक-संयोगिक सात ।। १. पंच भंते ! नेरइया ने रइयप्पवेसणएण पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा? पुच्छा। २. गंगेया ! रयणपभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। पांच जीवां रा इकसंजोगिया भांगा सात हिवं पांच जीत नां द्विसंजोगिया, तेहनां विकल्प ४, भांगा चउरासी। तिणमें प्रथम रल थी ६ भांगः ४ विकल्प करि २४ भांग, कहे छै ३. तथा एक ह रत्न में, सकरप्रभा में च्यार। जाव तथा इक रत्न में, चिहुं तनामा मझार।। ४. तथा दोय व रत्त में, तीन सकार रै मांहि । इम जावत वे रत्न में, तीन सप्तमी लाहि ।। ५. तथा तीन ह रत्न में, दोय सक्कर उपजत । इम जावत त्रिण रत्न में, तीन तमतभा हंत ॥ ६. तथा रत्न में जीव चिहं, सक्करप्रभा में एक । जाव तथा चिहुँ रत्न में, एक सप्तभी पेख ।। हिवै सक्कर थी ५ भांगा ४ विकल्प करि २० भांगा कहै छ ७. अथवा इक सक्कर, मझे, वालुप्रभा में च्यार । जाव तथा इक सक्कर में, चिहुं तमतमा नझार ।। ८.अथवा बे सक्कर मझे, बालुप्रभा में तीन । जाव तथा बे सक्करे, तीन तमतमा लीन ।। ३. अहवा एगे रपणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा। ४. अहवा दो रयणप्पभाए तिणि सकारणभाए होज्जा एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए तिणि अहेसत्तमाए होज्जा। ५. अहवा तिण्णि रयणपभाए दोष्णि सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहेसत्तमाए होज्जा। ६. अहबा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा . एवं जाव अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए 1. होज्जा। ७-१०. अहवा एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा । एव जहा रयणप्पभाए समं उवरिमपुढवीओ चारियाओ तहा सक्करप्पभाए वि समं चारेयवाओ श०६, उ० ३२, ढाल १७८ ६६ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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