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१३-१५. अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए
होज्जा, एवं जाव अहवा तिणि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा।
१३. अथवा तीन रत्न रै मांहे, एक सक्कर में थाई।
तथा जीव त्रिण रत्नप्रभा में, एक वालुका मांही। १४. अथवा तीन रल रै मांहे, एक पंक कहिवाई।
तथा जीव त्रिण रत्नप्रभा में, एक धम दुखदाई।। १५. अथवा तीन रत्न रै मांहे, एक तमा पिण पाई।
तथा जीव त्रिण रत्नप्रभा में, एक तमतमा मांही ।। १६. रत्नप्रभा थी त्रिहुं विकल्प करि, भंग अठारै थाई।
सकर पंच भंग त्रिहुं विकल्प करि, भंग पनर कहिवाई ।। १७. अथवा एक सक्कर रे मांहे, तीन वालुका मांही।
तथा जीव इक सक्कर मांहे, तीन पंक कहिवाई ।। १८. इम जिम रत्न संघात ऊपरली पृथ्वी जे कहिवाई ।
सक्कर थकी पिण तिम ऊपरली पृथ्वी साथे थाई ।। १६. सक्कर थी पंच त्रिहुं विकल्प करि, पनरै भांगा पाई।
वालुय थी चिहुं त्रिहुं विकल्प करि, द्वादश भांगा थाई । २०. तीन पंक थी त्रिहुं विकल्प करि, नव भांगा उचराई।
धम थकी बे त्रिहुं विकल्प करि, षट भांगा जिन न्याई ।। २१. एक तमा थी त्रिहुँ विकल्प करि, भांगा तीन दिखाई।
इम ए द्विकसंजोगिक तेसठ, भणवा बुद्धि वरदाई ।। २२. जावत अथवा तीन तमा में, एक सातमी पाई।
ए तेसठमों भांगो श्री जिन कह्यो पाठ रै मांही ।।
१७-२२ अहवा एगे सक्करप्पभाए तिण्णि बालुयप्पभाए
होज्जा, एवं जहेव रयणप्पभाए उवरिमाहिं समं चारियं तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाहिं समं चारेयब्वं, एवं एक्केक्काए समं चारेयव्वं जाव अहवा तिण्णि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा।
च्यार जीव नां द्विकसंजोगिया ६३ भांगा कहै छै
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ए रत्न थी ६ भांगा प्रथम विकल्प करि कह्या।
श०६, उ० ३२, ढाल १७७ ५१
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