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५१.१ रत्न, संख सक्कर, संख वालु, संख पंक, संख धूम, संख तम, संख सप्तमी ए
५१ मों विकल्प। ५२.२ रत्ल, संख सक्कर, संख वालु, संख पंक, संख धूम, संख तम, सख सप्तमी
ए ५२ मों विकल्प । इम रल में अनुक्रमे दश तांइ एक-एक वधारतां साठमों
विकल्प६०.१० रत्न, संख सक्कर, संख बालु, संख पंक, संख धम, संख तम, संख सप्तमी
ए ६० मों विकल्प । ६१. संख रत्न, संख सक्कर, संख वालु, संख पक, संख धम, संख तम, संख सप्तमी ए ६१ मों विकल्प ।
ए संख्यात जीवां रा सात संयोगिया ६१ विकल्प अने एक-एक विकल्प नों एक २ भांगो हुवै ते माट भांगा पिण ६१ जाणवा ।
*जिन कहै गंगेया! सुणे ।। (ध्रुपदं) ५. हे प्रभु ! असंख्याता नेरइया, नरक-प्रवेशन प्रश्न निहाल के । जिन कहै रत्नप्रभा विषे, जावत अथवा सप्तमी भाल के ।।
६. अथवा एक रत्न विषे, सक्कर माहे असंखिज्ज होय के।
इह विधि द्विकसंजोगिया, यावत सप्तसंजोगिक जोय कै॥ ७. जिम कह्यो संख्याता जीव नों, असंख्याता नों कहिवो तेम के। णवरं पद असंख्यात नों, द्वादश नों कहिवो धर प्रेम के ।
५. असंखेज्जा भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ?-पुच्छा। गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए
वा होज्जा। ६. अहवा एगे रयणप्पभाए असंखेज्जा सक्करप्पभाए
होज्जा, एवं दुयासंजोगो जाव सत्तगस जोगो य । ८. जहा संखेज्जाणं भणिओ तहा असंखेज्जाण वि भाणयब्बो, नवरं - असंखेज्जओ अब्भहिओ भाणियब्यो ।
(श० ६६६) नवरमिहासंख्यातपदं द्वादशमधीयते
__ (वृ० प० ४४६) ८. द्विकसंयोगादौ तु विकल्पप्रमाणवद्धिर्भवति, सा चैवंद्विकसंयोगे द्वे शते द्विपञ्चाशदधिके २५२,
(वृ०प० ४४६)
८. द्विकसंजोगिक नां इहां, द्वादश विकल्प करिनें कहीस के।
बे सय बावन भंग हुवे, इक विकल्प भांगा इकवीस के ।।
हिवै असंखेज जीवां रा द्विकसंजोगिक ना १२ विकल्प कहै छै१.१ रत्न, असंख्यात सक्कर २.२ रत्न, असंख्यात सक्कर ३.३ रत्न, असंख्यात सक्कर ४. ४ रत्न, असंख्यात सक्कर ५. ५ रत्न, असंख्यात सक्कर ६.६ रत्न, असंख्यात सक्कर ७.७ रत्न, असंख्यात सक्कर ८.८ रत्न, असंख्यात सक्कर ६.हरल, असंख्यात सक्कर १०.१० रत्न, असंख्यात सक्कर ११. संख रत्न, असख्यात सक्कर १२. असंख्यात रत्न, असंख्यात सक्कर
एवं १२ विकल कहा। एक-एक विकल करि इकवीस-इकवीस भांगा कीधे छते २५२ भांगा हुवै ।
*लय : हूं बलिहारी हो जादवां
श० ६, उ० ३२, ढाल १६० १६६
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