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एवं छ जीव नां पचसंयोगिक एक-एक विकल्प करि रत्न थी १५, सकर थी ५, वालुक थी १, इम २१ भांगा, ते पंच विकल्प करि १०५ भांगा कह्या । रत्न थी ७५, सक्कर थी २५, वालु थी ५, ए सर्व १०५ भांगा जाणवा । ११०. *नवम बतीसम देश ए, सौ चौरासीमीं ढाल ।
भिक्षु भारीमाल ऋषिराय थी, 'जय-जश' मंगलमाल ।
ढाल : १८५
दहा
१. षट्कसंयोगे तु सप्तव । (वृ० प० ४४५)
१. हिवं कहूं छह जीव नां, इक विकल्प करि एह।
षट-संयोगिक सप्त भंग, सुणज्यो तज संदेह ।। +जिन भाखै सुण गंगेय ! षट-योगिक भंग भणेह ॥ [ध्रुपदं] अथवा इक रत्न उवेख, इक सक्कर वालुक एक ।
इक पंक एक धम जोय, एक तमा विषे अवलोय ॥ ३. अथवा इक रत्न उवेख, इक सक्कर वालुक एक ।
इक पंक धूम इक जाण, इक सप्तमी नरक पिछाण ।। अथवा इक रत्न विशेष, इक सक्कर वालुक एक ।
एक पंक तमा इक कहिये, इक नारकि सप्तमी लहिये । ५. अथवा इक रत्न संपेख, इक सक्कर वालुक एक।
इक धूमा तमा इक तास, इक नारकि सप्तमी वास ।।
२. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे
तमाए होज्जा। ३. अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे धूमपभाए एगे
अहेसत्तमाए होज्जा। ४. अहबा एगे रयणप्पभाए जाब एगे पंकप्पभाए एगे
तमाए एगे अहे तत्त पाए होज्जा। ५. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए जाब एगे अहेसत्तनाए
होज्जा। ६. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे
पंक पभाए जाब एगे अहेसत्तमाए होज्जा । ७. अहवा एगे रयणपभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे
अहेसत्तमाए होज्जा। ८. अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा।
{(भ० ६/६३)
अथवा इक रत्न में देख, इक सक्कर पंके एक । इक धूम तमा इक जीव, इक सप्तमी नरक कहीव ।। अथवा इक रत्न उवेख, इक वालक पंके एक । इक धूमा तमा इक पाय, इक नरक सप्तमी जाय ।। अथवा इक सक्कर लेख, इक वालक पंके एक ।
इक धूम तमा इक जाण, इक नारक सप्तमी आण ।। ६. षट जीव तणां ए जाण, षट-योगिक नां पहिछाण ।
इक विकल्प नैं भंग सात, जिन आखै ए अवदात ।।
*लय :प्रभवो मन मांहि चिन्तवै लियरे चिन्तातुर सुन्दर चाली
श०६, उ० ३२, ढाल १५४,१८५ १६६
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