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________________ १४. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालक उपजंत । एक धूम बे तम विषे, एक सप्तमी हुंत ।। ६५. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालुक दुखरास । दोय धूम इक तम विषे, एक सप्तमी तास । ६६. अथवा एक सक्कर मझै, दोय वालका देख । एक धूम एक तम विषे, एक सप्तमी लेख । ६७. अथवा दोय सक्कर मझै, इक वालुक दुखधाम । एक धूम इक तम विषे, एक सप्तमी पाम ।। हिवै सक्कर थी पंचमो भांगो ५ विकल्प करि कहै छ, तिणमें तीजी नरक टली। १८. अथवा एक सक्कर मझै, एक पंक कहिवाय । एक धम इक तम विषे, दोय सप्तमी जाय। ६. अथवा एक सक्कर मझै, एक पंक उत्पन्न । एक धूम बे तम विषे, एक सप्तमी जन्न ॥ १००. अथवा एक सक्कर मझै, एक पंक अवलोय । दोय धूम इक तम विषे, एक सप्तमी जोय ॥ १०१. अथवा एक सक्कर मझै, दोय पंक रै माय । एक धूम इक तम विषे, एक सप्तमी जाय ।। १०२. अथवा दोय सक्कर मझै, एक पंक उपजत । एक धूम इक तम विषे, एक सप्तमी हुंत ।। ए सक्कर थी ५ भांगा पांच विकल्प करि २५ भांगा कह्या । हिवै वालुक थी १ भांगो ५ विकल्प करि ५ भांगा कहै छ१०३. अथवा एक वालुक मझै, एक पंक अवलोय । एक धूम इक तम विषे, दोय सप्तमी जोय ॥ १०४. अथवा एक वालुक मझै, एक पंक उपजत । एक धूम बे तम विषे, एक सप्तमी हंत ॥ १०५. अथवा एक वालुक मझै, एक पंक पहिछान । दोय धूम इक तम विषे, एक सप्तमी जान । १०६. अथवा एक वालुक मझै, दोय पंक दुखरास । एक धूम एक तम विषे, एक सप्तमी वास ॥ १०७. अथवा बे वालुक मझै, एक पंक दुखखान । एक धूम इक तम विषे, एक सप्तमी जान ॥ १०८. * पनर रत्न थी पंच सक्कर थी, इक वालक थी जाणियै । इकवीस विकल्प एक करि ए, पंचयोगिक आणिय ।। १०६. जीव षट नां पंच विकल्प पंचयोगिक नां कह्या। एक सौ नै पंच भंगा, पूर्व रीत करी थया । एकेक विकल्प करि रत्न थी १५, सक्कर थी ५, वालुक थी १-एवं २१ । रत्न थी १५ हुवै, तेहनों विवरो-रत्न सकार थी १०, रत्न वालुक थी ४, रत्न पंक थी१- एवं १५ ते पनर ने विषे रत्न सक्कर थी १०, ते किसा? रत्न सक्कर वालुक थी ६, रत्न सक्कर पंक थी ३, रत्न सक्कर धूम थी १-एवं रत्न * लय : पूज मोटा भांजे तोटा १६४ भगवती-जोड़ १०७. अहवा दो वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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