SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ए रत्न धूम थी १५ भांगा पंच विकल्प करि ७५ भांगा कह्या । हिवै सक्कर थी ५ भांगा ५ विकल्प करि २५ हुदै । तिहां सक्कर थी प्रथम भांगो पांच विकल्प करि कहै छ, तिणमें सातमी नरक टली। ७८. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालक अवलोय । एक पंक इक धूम में, दोय तमा में होय ।। ७६. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालुक उपजत । एक पंक बे धूम में, एक तमा में हुँत ।। ८०. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालुक दुखरास । दोय पंक इक धूम में, एक तमा अतित्रास ।। ५१. अथवा एक सक्कर मझै, दोय वालुका देख । एक पंक इक धूम में, एक तमा दुख पेख ।। ८२. अथवा दोय सक्कर मझै, इक वालुक दुखदाय । एक पंक इक धूम में, एक तमा में जाय ॥ हिवै सक्कर थी द्वितीय भांगो ५ विकल्प करि कहै छ, तिणमें छठी नरक टली। ८३. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालक उपजत । एक पंक इक धूम में, दोय सप्तमी हंत ॥ ८४. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालक अवलोय । एक पंक बे धूम में, एक सप्तमी सोय ॥ ८५. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालक दुखदाय । दोय पंक इक धूम में, एक सप्तमी जाय ॥ ८६. अथवा एक सक्कर मझे, दोय वालका देख । एक पंक इक धूम में, एक सप्तमी शेख ॥ ८७. अथवा दोय सक्कर मझै, एक वालका मांय । एक पंक इक धूम में, एक सप्तमी जाय ।। हिवै सक्कर थी तृतीय भांगो ५ विकल्प करि कहै छ, तिणमें पंचमी नरक टली। ८८. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालुक उपजत । एक पंक इक तम विषे, दोय सप्तमी हुंत । ५६. अथवा एक सक्कर मझे, इक वालुक अवलोय । एक पंक बे तम विषे, एक सप्तमी होय ।। १०. अथवा एक सक्कर मझै, एक वालका पेख । दोय पंक इक तम विषे, एक सप्तमी शेख ।। ६१. अथवा एक सक्कर मझै, दोय वालुका देख । एक पंक इक तम विषे, एक सप्तमी पेख ॥ १२. अथवा दोय सक्कर मझै, इक वालुक कहिवाय । एक पंक एक तम विषे, एक सप्तमी जाय । हिवै सक्कर थी चतुर्थ भांगो ५ विकल्प करि कहै छ, तिणमें चउथी नरक टली। ६३. अथवा एक सक्कर मझै, इक वालक अवलोय । एक धूम इक तम विषे, दोय सप्तमी सोय ।। शा. उ० ३२, ढाल १५३ १६३ Jain Education Intemational Education International For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy