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________________ | हिवं मकार बल धूम थी २ भांगा द्विनीय विकल्प करि कहै छ। १ मक्कर, १ वालु, २ धूम, १ तम हि सक्कर थी १० एक एक विकल्प करि हुवे, ते सक्कर वालुक थी ६, सक्कर पंक थी ३, सक्कर धूम थी १, एवं १० । हिवै सक्कर वालुक थी ६, ते किसा? सक्कर वालु पंक थी ३. सककर वालु धूम थी २, सक्कर वालु तम थी १ एवं सक्कर वालु थी ६ । ते च्यार विकल्प करि २४ भांगा हवै। हिव सक्कर वालु पंक थी ३ भांगा प्रथम विकल्प करि कहै ६६ २ | १ मक्कर, १ व लु, २ धूम, १ तमतमा हिवं गककर वाल धूप थी २ भांगा तृतीय विकल्प करि कहै छ ६७ | १ | १ सक्कर, २ वालु, १ धूम, १ तम १ सक्कर, १ वालु, १ पंक, २ धूम १ सक्कर, २ वालु, १ धूम, १ तमतमा १ सक्कर, १ वालु. १ पंक, २ तम | वि सक्कर बालु धूम थी २ भांगा च उथे विकल्प करि कहै छ 86 १ | २ सक्कर, १ वालु १ धूम, १ तम | १ सक्कर, १ वालु, १ पंक, २ तमतमा हिवै सक्कर वालु पंक थी ३ भांगा दूज विकल्प करि कहै छ -- २ २ सक्कर, १ वालु, १ धूम, १ तमतमा १ सक्कर, १ वालु, २ पंक, १ धूम ए गयकर या नु धम थी २ भांगा च्यार विकल्प करि ८ भांग कहा। १ सक्कर, १ वालु, २ पंक, १ तम हिवं सकार धूम तम थी १ भांगो ते ४ विकल्प करि ४ भांगा कहै छ। हिवै सककर धूम तम थी १ भांगो प्रथम विकल्प | १ सक्कर, १ वालु, २ पंक, १ तमतमा हिवै सक्कर वालु पंक थी ३ भांगा तीजे विकल्प करि कहै छै - १०१ १ १ सक्कर, १ धूम, १ तम, २ तमतमा १ सक्कर, २ वालु, १ पंक, १ धूम दिवं सक्कर धून तन थी १ मांगो द्वितीय विकल्प करि कहै १ सक्कर, २ वालु, १ पंक, १ तम १ सनकर १ धूम, २ तम, १ तमतम १ सक्कर, २ वालु, १ पंक, १ तमतमा हिवं तक र धुम तम थी १ भांगो तृतीर विकल्प करि कहै छ हिव सक्कर वालु पंक थी ३ भांगा चउथे विकल्प करि कहै छ ६० २ सक्कर, १ वालु, १ पंक, १ धूम १ सक्कर,२ धम, १ तम, १ तमतमा हिवै सकार धूम तम थी १ भागो चउथे विकल करि कहै छै २ सक्कर, १ वालु, १ पंक, १ तम १०४ २ सकार, १ धूम, १ तम, १ तमतमा २ सक्कर, १ धूम, १पंक, १ तमतमा हिवै सक्कर वालु धूम थी २ भांगा प्रथक विकल्प करि कहै छ ए सक्कर व.लुक थी ६ भांगा ४ विकल्प करि २४ भांगा कह्या। सककर पंक थी : भांगा एक एक विकल्प करि हुवै, ते किसा? सकार पं. धूम थी २, सक्कर पंकतम थी १, तिहां सक्कर पंक धूम थी २ भांगा प्रथम विकल्प करि कहै छ - १ सक्कर, १ वालु. १ धूम, २ तम १ सक्कर, १ पंक, १ धूम, २ तम १ सक्कर, १ वालु, १ धूम, २ तमतमा १ सक्कर, १ पंक, १ धूम, २ तमतमा १०० भगवती-जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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