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१८. तेह रचित' है उद्देशिक भेद, एहवो वृत्ति में अर्थ संवेद । १६. कतार-भक्त ते अटवी मांहि, भिखारियां काज कीधो ताहि ।
२०. दुर्भिक्ष-भक्त दुकाल में जेह, भिक्ष अर्थे कीधो भक्त तेह । २१. बद्दलिया-भक्त ते मेह-भड माय, भिक्ष अर्थे भात निपजाय । २२. गिलाण-भक्त ते रोगी नै अर्थे कीधो भात विशेष तदर्थे ।
१६. कंतारभत्तं,
कान्तारम् -अरण्यं तत्र भिक्षुकाणां निर्वाहार्थं यद्
विहितं भक्तं तत्कान्तारभक्तम् । (वृ० प० २३१) २०. 'दुब्भिक्वभत्तं', २१. वद्दलियाभत्तं, २२. गिलाणभत्तं,
ग्लानस्य नीरोगतार्थं भिक्षुकदानाय यत्कृतं भक्तं तद् ग्लानभक्तम्, ।
(वृ० प० २३१) २३. सेउजायरपिंड, २४. रायपिंडं।
(श० ५/१४०)
२३. सेज्यातर-पिंड सूवै जिण स्थान, तेहनां घर नों आहार ए जान । २४. राय पिंड ते राजा-अभिषेक कीधे छते जे आहार विशेख । २५. तथा पिड माहै राज समान, मंस प्रमुख अकल्पतो जान । २६. ए दस दोष कह्या जिनराय, निर्दोष जाणें मन मांय ।
२६. आधाकर्मादीनां सदोषत्वेनागमेऽभिहितानां निर्दोषताकल्पनम् ।
(वृ० प० २३१)
२७. विना आलोयां आराधना नहीं छै, आलोयां आराधना कही छै । २८. ए दस दोष निरवद्य कहीन, घणां लोकां माहै भाखी नैं। २६. स्वयमेव भोगवी नैं न आलोय, तिण नै आराधना नहिं होय । ३०. आलोयां पडकमियां ते स्थान, तिण रै आराधना पहिछान ।
२८-३० आहाकम्मं 'अणवज्जे' त्ति सयमेव परि जित्ता
भवति, से णं तस्स ठाणस्स अणालोइय-पडिक्कत कालं करेइ-नत्थि तस्सआराहणा । से णं तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते कालं करेइ-अत्थि तस्स आराहणा।
(श० ५/१४१)
१. साधु के भोजन सम्बन्धी दोषों में एक दोष है---रचित दोष । भगवती की
वृत्ति (वृ०प० २३१) में इसे औद्देशिक का एक भेद बताया गया है, पर उसका कोई कारण नहीं बताया गया । प्रश्न व्याकरण सूत्र की वृत्ति में जो अर्थ किया है, उससे रचित दोष की औद्देशिकता घटित हो सकती है। इस तथ्य को स्पष्ट करने के लिए आचार्य श्री तुलसी ने पांच सोरठे लिखे हैं, वे इस प्रकार हैं---
सोरठा प्रश्नव्याकरण उदार, दशम अध्ययन नी वृत्ति में । दोष-विवरण मझार, रचित दोष नों अर्थ ए॥ मोदक चूर्ण विचार, साध्वादिक नै अर्थ बलि । अग्नि आदि थी धार, तपावि मोदक सांधियो ।। साध्वादिक नै अर्थ, अग्नि आरंभ थयो इहां । उद्देशिक भेद तदर्थ, एम करीनै संभवै ।। भगवति-वृत्ति सुजाण, तपाविवा नों अर्थ नहिं । तेहथो अर्थ प्रमाण, प्रश्नव्याकरण वृत्ति नो॥
ओदन दधी मिलाण, करवादिक करवो तिको ।
पर्यवजात पिछाण, दोष रचित आगल कह्यो ।। ६२ भगवती-जोड़
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