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वैत्रिय-शरीर प्रयोग-बन्ध स्थिति-सूचक यन्त्र : प्रथम यंत्र
सर्वबंध स्थिति समुच्चय वैक्रिय शरीर प्रयोग-बन्ध जघन्य उत्कृष्ट नी स्थिति
१ समय । २समय बाउ वैक्रिय शरीर प्रयोग-बन्ध... जघन्य-उत्कृष्ट
१ समय रत्नप्रभा वैक्रिय शरीर प्रयोग-बन्ध...
जघन १ समय १ समय
देशबंध स्थिति
उत्कृष्ट ३३ सागर १ समय ऊण
अंतर्मुहूर्त
३ समय ऊण दस हजार | १ समय ऊण १ सागर
वर्ष
अंतर्मुहर्त
शेष ६ नरक अन १० भवनपति,
३ समय ऊणी जेहन जेतली १ समय ऊण जेहनै व्यंतर जोतिषि वैमानिक....
स्थिति छ तेतली जेतली स्थिति छ तेतली तिर्यंच पंचेंद्री मनुष्य...
१ समय
अंतर्मुहुर्त वैक्रिय-शरीर प्रयोग-बन्ध नो अंतर-सूचक यन्त्र द्वितीय यन्त्र सर्वबंध अंतर
देशबंध अंतर वैक्रिय अंतर जघन्य उत्कृष्ट
जघन्य उत्कृष्ट १ समय अनंत वणस्सइ काल
१ समय अनंत वणस्सइ काल बाउ-वक्रिय अंतर अंतर्मुहूर्त पल्य नों असंख्यातमों भाग
पल्य नों असंख्यातमों भाग पंचेंद्री तिर्यंच, मनुष्य अंतर्मुहूर्त । प्रत्येक पूर्व कोडि अंतर्मुहूर्त प्रत्येक पूर्व कोडि
वैक्रिय अंतर
जीव वाउकायपणे ऊपजी पछै नोवाउकायपणे थइ पुनरपि वाउकायपणे ऊपज तेहन अंतर नो यंत्र । इमहिज तिर्यञ्च पंचेन्द्री, मनुष्य, नारकी अनै देवता नो पिण जाणवो तृतीय यंत्र सर्वबंध अंतर
देशबंध अंतर वाउ, तिर्यंच पंचेंद्री, | जघन्य
उत्कृष्ट जघन्य
उत्कृष्ट मनुष्य अंतर्मुहूर्त अनंतकाल- अंतर्मुहूर्त
अनंत काल-- वनस्पति काल
वनस्पति काल रत्नप्रभा नोरत्नप्रभा | अंतर्महत अधिक वनस्पति काल अंतर्मुहर्त्त
वनस्पति काल पुनरपि रत्नप्रभा १० हजार वर्ष शेष छह नरक, भवन- | अंतर्महर्त अधिक
वनस्पति काल - अंतर्मुहुर्त
वनस्पति काल पत्यादि जाव सहसार | जेहनै जेतली स्थिति
देवलोक आणतादिक जाव नव प्रत्येक वर्ष अधिक वनस्पति काल प्रत्येक वर्ष
वनस्पति काल अवेयक
जेहनै जेतली स्थिति चार अनुत्तर विमान प्रत्येक वर्ष ३१ सागर । संख्याता सागर प्रत्येक वर्ष संख्याता सागर
नां सुरपण वैक्रिय शरीर नां देशबंधक सर्वबंधक अबंधक में अल्पबहुत्व यंत्र
चतुर्थ यंत्र
सर्वबंधक
देशबंधक
अबंधक
अल्पबहुत्व
सर्व थी थोड़ा
असंखगुणा
अनंतगुणा
५१४ भगवती-जोड़
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