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________________ ८७. चरित्ताचरित्त-लद्धिया जीवा, स्यू नाणी अनाणी कहीवा? ८७. चरित्ताचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? जिन कहै ज्ञानी श्रावक एह, अज्ञानी नहिं कहीजै तेह ।। अण्णाणी ? गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । ८८ केयक मांहे छै बे ज्ञान, केयक में त्रिण ज्ञान पिछान। ८८. अत्थेगतिया दुण्णाणी, अत्थेगतिया तिण्णाणी। जे बे ज्ञानी ते मति श्रत सार, त्रिण ते मति श्रुत अवधि विचार ।। दुण्णाणी ते आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य । जे तिण्णाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहि नाणी। ८६. तास अलद्धिय में पंच ज्ञान, तीन अज्ञान नी भजना जान । ८६. तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई, तिण्णि अण्णाणाईश्रावक विण संसारी सिद्ध, चरित्ताचरित्त अलद्धिया लिद्ध । भयणाए। (श० ८/१६३) १०. दान-लद्धिया में पंच ज्ञान, तीन अज्ञान नी भजना जान । ६०. दाणलद्धियाणं पंच नाणाई तिण्णि अण्णाणाई-भयचवदै गणठाणे ए कहिये, सिद्धां मांहे ए नहिं लहियै ।। णाए। (श०८/१६४) ६१. पूछा तेहनां अलद्धिया नी, ज्ञानी छै ते नहिं अज्ञानी। १. तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा। नियमा निश्चै छै इक नाणी, केवलनाणी सिद्ध सूहाणी॥ गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी। नियमा एगनाणी केवलनाणी। ६२. एवं यावत वीर्य लद्धी, वलि तसु अलद्धिया गणवृद्धी। १२. एवं जाव वीरियस्स लद्धीया अलद्धीया याभाणियव्वा । वीर्य लद्धी वीर्य आतम, तास अलद्धी सिद्ध सुखातम॥ ६३. पूछा बालवीर्य-लद्धिया नीं, तीन ज्ञान नी भजना जानी। १३. बालवीरियलद्धियाणं तिण्णि नाणाई तिण्णि अण्णा भजना तीन अज्ञान नी कहिय, धर ए चिहं गणठाणे लहिये। णाई-भयणाए। ६४. ते बालवीर्य नां अलद्धिया नीं, पंच ज्ञान नी भजना ठानी। ४. तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए। श्रावक साध नैं सिद्ध लहिये, धर चिहुं गणठाणा विण कहिये ।। ६५ वलि पंडितवीर्य-लद्धिया नीं, पच ज्ञान नी भजना जानी। ५. पंडियवीरियल द्धियाणं पंच नाणाई भयणाए। छट्ठा गुणठाणा थी कहिये, चउदसमें गणठाणे लहिये ।। .६६. पंडितवीर्य तणो अलद्धियो, मनपज्जव वर्जी मैं कहियो। ६६. तस्स अलद्धीयाणं मनपज्जवनाणवज्जाइं नाणाई, च्यार ज्ञान में तीन अज्ञान, भजना एह मनी विण जान । अण्णाणाणि य भयणाए। ६७. बालपंडितवीर्य-लद्धिया नीं, तीन ज्ञान नी भजना जानी। ६७. बालपंडियवीरियलद्धियाणं तिण्णि नाणाई भयणाए। तास अलद्धिया में पंच ज्ञान, तीन अज्ञान नी भजना आन ॥ तस्स अलद्धीयाणं पंच नाणाई, तिण्णि अण्णाणाइं भयणाए। (श० ८/१६५) ६८. वलि पूछा इंद्री-लद्धिया नी, च्यार ज्ञान नी भजना जानी। ८. इंदियलद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी ? तीन अज्ञान तणी है भयणा, धुर द्वादश गुणठाणे वयणा ।। अण्णाणी? गोयमा ! चत्तारि नाणाई, तिण्णि य अण्णाणाईभयणाए। (श० ८/१६६) EE. पूछा इंद्री-अलद्धिया नीं, जिन कहै ज्ञानी छै न अज्ञानी। ९६. तस्स अलद्धियाणं पुच्छा। नियमा एक केवल वर नाणी, इंद्री भाव तिहां नहिं जाणी॥ गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी। नियमा एगनाणी केवलनाणी। (श० ८/१६७) १००. पूछा सोइंदिय-लद्धिया नीं, जिम इंद्री-लद्धिया तिम जानी। १००. सोइंदियलद्धिया णं जहा इंदियलद्धिया। च्यार ज्ञान नी भजना कहिये, भजना तीन अज्ञान नी लहिये ।। (श०८/१६८) १०१. पूछा सोइंदिय-अलद्धिया नीं, जिन कहै ज्ञानी वलि अज्ञानी। १०१. तस्स अलद्धियाणं पुच्छा। जे ज्ञानी ते के बे नाणी, कितलायक इक नाणी जाणी॥ गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते अत्थे गतिया दुण्णाणी, अत्यंगतिया एगनाणी। ३५६ भगवती-जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003618
Book TitleBhagavati Jod 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1986
Total Pages582
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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