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- २६. वाऊ तगा अधिकार थी, बलि कहियै छै तास ।
प्रभु ! वाउकाय वायु प्रतै, ग्रहै छै सास उसास ।।
३०. जेम खंधक आलावो कह्यो, तिमज आलावा च्यार' ।
प्रथम तो सासउस्सास ले, वायरा नों ईज तिवार ।
३१. वाऊकाय वाउकाय में, मरी-मरी उपजंत ।
अनेक लाखां भव इम करै, ए दूजो आलावो कहंत ॥
२६. वायुकायाधिकारावेदमाह- (वृ०प० २१२)
वाउयाए ण भंते ! वाउयायं चेव आणमंति वा ?
पाणमंति वा ? ऊससंति वा ? नीससंति वा ? ३०. जहा खंदए तथा चत्तारि आलावगा नेयव्वा अणेगसयसहस्स पुढे उद्दाइ ससरीरी निक्खमइ । (सं० पा०)
(श० ५/४६) ३१. वाउयाए णं भंते ! वाउयाए णं वाउयाए चेव
अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो मुज्जो पच्चायाति ? हंता गोयमा ! वाउयाएणं वाउयाए चेव अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइता उद्दाइता तत्थेव भुज्जो मुज्जो पच्चायाति ।
(श० ५/४७) ३२. से भंते ! किं पुढे उद्दाति ? अपुढे डद्दाति ? गोयमा ! पुढे उद्दाति, नो अपुढें उद्दाति ।
(श० ५/४८) ३३. से भंते ! किं ससरीरी निक्खमइ? ... .....
ओरालिय-वेउब्बियाई विप्पजहाय तेययकम्मएहि निक्खमइ।
(श० ५/४६,५०)
३२. शस्त्र थकी फर्त्यां मरै, फल् विना न मरेह ।
एतीजो आलावो जाणवो, चउथो शरीर नुं एह ॥
३३. ओदारिकादि रहित नीकले, तेजस कार्मण सोय ।
ए बेहुं शरीर सहित नीकले, ए चोथो आलावो जोय।।
३४. देश बावनमां अंक नों, छिहतरमी ढाल ।
भिक्खु भारीमाल ऋषरायाथी, 'जय-जश' मंगलमाल ॥
ढाल : ७७
१. पूर्वे वायू चितव्यु, वनस्पत्यादि शरीर ।
तास प्रश्न पूछ हिवै, इंद्रभूति बडवीर ॥
१. वायुकायश्चिन्तितः, शरीरतश्चिन्तयन्नाह
अथ
वनस्पतिकायादीन् (वृ० प० २१२)
१. भगवई श० २/८-१२ २. इस ढाल की तीसवीं गाथा में 'जेम खंदक आलावो' कहकर संक्षिप्त पाठ के
आधार पर जोड़ की गई है। उसके सामने पाद टिप्पण का संक्षिप्त पाठ उद्धृत किया गया है। स्कन्दक-आलापकों की भुलावण देने के बावजूद आगे ३१-३३ में उन्हीं आलापकों को आंशिक रूप में स्पष्ट किया गया है। इसलिए तीसवीं गाथा के सामने संक्षिप्त पाठ उद्धृत करने पर भी अगली गाथाओं के सामने
कुछ पाठ अंगसुत्ताणि भाग २ श० ५/४६-५० का लिखा गया है । क्योंकि .... जोड़ के साथ तुलना करने की दृष्टि से यह आवश्यक समझा गया।
१४ भगवती-जोड़
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