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________________ तिहोत्तर वलि मुहुर्तमान देख्यो तसु, ३३. सेतीसो उस्सास निस्वास सर्व अनंत ३४. ए मुहूर्त्त प्रमाण करी अछै, तीस मुहूर्त दिनरातो । पनर अहोरत्त पक्ख का, बे पक्ख मास विख्यातो ॥ २५. वे मासे इक ऋतु कही वे अपने इक वर्ष थे, ३६. वीस युगे सौ वर्ष छै, सौ हजार वर्ष एकठा, ते ३७. चोरासी लक्ख वर्षे हुवै, चोरासी लाख गुणां किया, Jain Education International तीन पंच दश ऋतू इक वर्ष सय युग वर्ष जानी । वरज्ञानी ॥ इक लक्ख अयनो । वयनो ॥ हजारो | अवधारो ॥ एक पूर्व नों पूर्व एक अंगो । सुचंगो ॥ सोरठा सहस्रज कोड़ ३८. वर्ष सित्तर लख फोड़, छपन ए सगला मिलि जोड़, पूर्व संख्या तसु ३६. * एक पूर्व छै तेहनें, चोरासी लक्ख गुणां एक तुटित नों अंग छे षट अंग पनर बिंदु लीजै ॥ ४०. एह तुटित नां अंग ने वर्ष चउरासी लक्ख गुणां कीजै । तुटित कहीजै तेहनें, अठ अंक बिंदु बीस लीजै ॥ कीजे । ४१. तिने चोरासी लाख गुणां कियां, एक अडड नो अंगो । इणने चोरासी लक्ख गुण्यां अडड एक सुचंनो || ४२. तिने चोरासी लाख गुणां कियां, एक अब तो अंगो तास चोरासी चोरासी लक्ख गुण्यां, अवव एक सुचंगो ॥ ४३. तिने चोरासी लाख गुणां कियां, एक हूहूक नों अंगो । इणनें चोरासी लक्ख गुण्यां, गुण्यां हूहूक एक सुचंगो ॥ ४४. तिने चोरासी लाख गुणां कियां, एक उत्पल नो अंगो । इणनें चोरासी लक्ख गुण्यां, उत्पल एक सुचंगो ॥ ४५. तिने चोरासी लाख गुणां कियां, एक पद्म तो अंगो इणनें चोरासी लक्ख गुण्यां पद्म एक सुचंनो ॥ ४६. तिने चोरासी लाख गुणां कियां, एक नलिन नो अंगो। इणनें चोरासी लक्ख गुण्यां नलिन गुण्यां नलिन एक सुगो ॥ ४७. तिने चोरासी लाख गुणां कियां, अर्धनिपूरक अंगो । इणनें चोरासी लक्ख गुण्यां, अर्थ निपूरक चंगो ॥ ४८. तिने चोरासी लाख गुणां कियां, एक अयुत नों अंगो । इणनें चोरासी लक्ख गुण्यां, अयुत एक सुचंगो ॥ *लय : श्रेणक मन इरचज थयो हूं बड़भागी १७६ भगवती-जोह बलि । कही ॥ ३३. तिणि सहस्सा सत्त य सयाई तेवतरि च ऊसासा । एस मुहतो विट्ठो सम्बनीहि ॥ ३४. एएमा तीस अहोरतो, पम्पर बहोरता पक्खो दो पक्या मासो, 2 ३५. दो मासा उडू, तिष्णि उडू अयणे, दो अयणा संवछरे, पंच राई बुगे, ३६. वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससयाई वाससहस्सं, सयं यासमुहस्तायं बाससपसहसं ३७. चउरासीइं वाससयसहस्साणि से एगे पुव्वंगे, चउरासी बंगा सदसहस्साई से एगे पुबे। ३६. एवं ड ४०. तुडिए । ४१. अडडंगे, ४२. अववंगे, अववे । ४३. हूहूयंगे, हूहूए । ४४. उप्पलंगे, उप्पले । अडडे I ४५. उमंगे परमे । For Private & Personal Use Only ४६. नलिणंगे, नलिणे । ४७. अत्यरिगे पनिउरे । ४८. अउयंगे, अउए । www.jainelibrary.org
SR No.003618
Book TitleBhagavati Jod 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1986
Total Pages582
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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