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२३१.
अथवा सर्व प्राणी संबंधित, भय नी जे परिहारी। दया अनुकपा जेहन छ ते, 'अभयदए' अवधारी ।।
२३१. अभया वा सर्वप्राणिभयपरिहारवती दया-अनुकम्पा यस्य सोऽभयदयः ।
(वृ०-प०८)
२३२.
सोरठा हरि हर रवि ब्रह्मादि, अभय तणां दायक नहीं। प्रभु नै विष संवादि, एह विशेष कह्यो इहां ।। विण अपराधी जेह, अपराधी नै पिण प्रभु । अनर्थ परिहार करेह, केवल एहिज गुण नथी ।। अर्थ प्राप्ति पिण तास, करै इसो देखाड़तो। आगल जे गुणरास, कहिय छै ते सांभलो ।।
२३२. हरिहरमिहिरादयस्तु नैवमिति विशेषः ।
(वृ०-५०८) २३३, २३४. न केवलमसावपकारिणां तदन्येषां वाऽनर्थपरि
हारमात्रं करोति अपि त्वर्थप्राप्तिमपि करोतीति दर्शयन्नाह
(वृ०-प०८)
२३४.
२३५.
*चक्खू जिम चक्ख श्रुतज्ञानज, अर्थ शुभाशुभ भागं । उपदर्शक थी दायक प्रभुजी, चक्खुदए सुभागं ।।
२३५. चक्खुदए
चक्षुरिव चक्षुः-श्रुतज्ञानं शुभाशुभार्थविभागोपदर्शकत्वात् ।
(व०प०८)
नर पेखै
जे भाव
सोरठा चक्षवंत, नित्य श्रतज्ञानज नेत्र करि। अनंत, उपादेय फुन हेय प्रति ।।
२३६. "चक्षुष्मन्तस्त एवेह ये श्रुतज्ञानचक्षुषा। सम्यक् सदैव पश्यन्ति, भावान् हेयेतरान्नराः ।।
(वृ०-प०८)
जे थतज्ञान सहीत, नेत्रवंत ते जाणवा। वर श्रुतज्ञान रहीत, अंध तुल्य ते जीव छै ।। ते माट श्रुतज्ञान, चक्षु जिम चक्षु अछै । तसं दायक वर्द्धमान, चक्षुदय तिण कारण ।।
२३६.
२३६,२४०. यथा हि लोके कान्तारगतानां चौरैविलुप्तधनानां
बद्धचक्षुषां चक्षुरुद्घाटनेन चक्षुर्दत्त्वा वाञ्छितमार्गदर्शनेनोपकारी भवति, (वृ०प०८,६)
२४०.
२४१.
गीतक-छंद जिम लोक में कांतार गत न, तस्करे धन लूटिया। फन चोर तेहिज पुरुष नां, बिहं नेत्र बांधी ने गया ।। वर नयन तास उघाड़वै करि, चक्ष प्रति इम दे करी। देखाड़वै फून अध्व वांछित हुवै उपकारक वरी। इम एह पिण संमार अटवी विप जीव रह्या सही। रागादि तस्कर तेह फूल, धर्म-धन लूटयूं वही ।। मिथ्यात्व रूप कुवासना करि, तेह पुरुष तणा बलो। आच्छादिता वर ज्ञान - लोचन, सुद्ध श्रद्धा निदली।। तसं दर्श मोह कुवासना प्रति दूर करिव करि भलु । वर सुद्ध श्रद्धा ज्ञान चक्षु आपवै करि गुणनिलु ।। वर मग वांछित प्रति देखा. तेह आगल आखिये। मग्गदए पाठ सुहामणो तमु अर्थ इह विध भाखियै ।।
२४१-२४४. एवमयमपि संसारारण्यवत्तिनां रागादिचौर
विलुप्तधर्मधनानां कुवासनाऽऽच्छादितसज्ज्ञानलोचनानां तदपनयनेन श्रुतचक्षुर्दत्त्वा निर्वाणमार्ग यच्छन्नुपकारीति दर्शयन्नाह
(वृ०-प०६)
२४२.
२४३.
२४४.
२४४. मग्गदए
*लय-बीस बिहरमाण
श. १, उ०१, ढा०१ २६
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